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श्रावक | एकदा प्रस्ताव | | बेपदोरमध्यानन) | समई॥ ॥ जिदां | सोग वरणीया वाडी । | बासए रमया कया। पञ्चावरण्ह कालस मयंसि केोवच्या सो गदलियाँ तिहांश्रावी नई गोसाला ॥ मंखला पुत्र नो समीप धर्मपरुपांगीकार क | तेणेव बवागञ्चतिर| गोसाला मंरख ली पुलस्त्र तियंधम्मपत्तिं वसंपि |रान इंदिचर बाला गेो ( तिवारपबी || सद्दालपुत्र | | गोसालाना श्रादक नई ॥ एकदेवता समीप । तादिरेति । ततेां तखा सद्दालपुत्रस्म याजीविन वासया । एगे देवे निय चावी नई। / तिवारपबीते देवता / गगननविषइंजन | घुघरी फांऊरी व जाडीन ] स लावस्त्र पद्ि पाउसविञ्चा| ततेां से देवे। तलिक पडिवो । सखिखि लिया | जावपवरप
नई | | महालपुत्र | गोसालाना श्रावक प्रत ) | श्मकजिं । यवम्पदं । देदेवा पिया।। रिहि सहाजपुत्रं याजवितो वासयं । एवं वयासी । पहिने णं देवाप्पिया।