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________________ नाद एनमा श्री महावीरं । जगदानंददायकं । नपा सकदा वागस्य । होचा कालाइ सम चपानामि नगरी इ जिनाय नमति आर्य सुधम्मी स्वामी | काले तां समए चपाए नाम नयरा हो बा नपासू वो तारमा सुबो । ववइनिक काजर | तेण सम | घिना नदवाई मध्ये | नामि चेत्पवन शतह तेश काल | वन हे चिईए वन त १ काल ते समए इम कहता) हवा स्थिवर समो| जावा घ] अनेराघा साधा सखा चपाइ ] ] ऊंबू प्रेमुष पर्युपास्तिकरे। मोसरिए जाव जंबूपवासमा संप्राप्त मोक्ष सिग अज्ञातासूत्र | तेमइ सम्म ग्रा वंत ड व संपते सागर नया धमक हा शो | दकन विषइ स्पर्धक स्चन ॥ सातमा गनइ विषई | धर्म का न विषय के बइ | उपासक सूति गरसन वा सगद साग समजाव संपत्ते सुहाम स | | हे स्वामी ऊसगवंत श्री महा| | वारे यावत् । एवंवया सागांसते समग यम | केहबु 5 अंबू के कहन | रुविश्सात मुंजेनपास 1 क) पनते सत्तमस्सांत ते बश्ब ठे पन्न ते। कहिन | पश्मरख लुक हिता | निश्च हे ॐ बू ! एवं खलु ऊंबूस
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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