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________________ कवी विलनगरमा दिघरी करेतेयनामावशी बारेवरसलगे जो स्तलै छ निकुमार देवतानो | एदने बारे वरसने हमे नगर जोक नें समकालस बुद्दकुपनी छाइ वर्ष तप करतांना घरे आंबन कीधो तो वीजानगरमा दिया मनुष्य करेने तेथे सद्यो जिमएकूने बुझिअपनी नत्र रामयनट मिस ने अपनी तिमसग बजतपन करो लो | एट्वेंते ऐलागग्यो नगर सगलोदा की थी। जेदी झालीये ते नेमिनाथ से बीजाजे मनुष्पनीले 724 वायुनायक या अग्निमादिमुं के श्रीकृने बलदेव कमी माटेक गया। आपणा स्वजन परिवारं ते उरस बनताऽपीतेि बेहबंश्ववन | वासेनी कृपा तेोचनज एकुमारस्दै निदापता ललमहाराय विद्यालागी । एद ने एक वृक्ष वाया देवियावीता बनदेवयांणीने वागयो एहवेज क मारवनमांदि की मा करतां मृगनेंनरो से बांए करो| तेश्रीनारायण ने पगनेतले म पदमकल कै तिहारी लागो । जरा कुमारशवदिषेतोश्री महा राय देबी पगे लागो में हमने जो बॉल को तेतुमारेला गो २१४मोक्लोक है। वीतरागदेवना वतनपान था। दरवाजा दिवमांबर लदेवमा दरो भाई तो कवक रिस्पेन राऊ मारयाय स्थान के गयो तिवारे कृममनमांहिति एवं गालबुकने मारी जाई / मे अनेक माया एजीवतो जाई| इमचिंतदीशर्तमांने कालकर योगतितीजी पृथ्वी इंपतो तेदवेदन देवणं पीलेईतिहांगावे जिहां भाईसाबै तद वे बोलावैदे बंधव पीको मुकनेपली आप तांधणी करलागी उमेतिहार ह्या इमविलापना करतां | मोदनाथ मृतक न थी जो एपो| स्नेदथ की कहमतें ये उपाही ने कम नावा करे इम करतां मासथ्या एहवे एक देवता बनें रूपथई । मृतक गायनोरूपविक्तेमृत गाय मोघे एवोसरूप बलदेबीक देव दिवालागो अहो विषएवो मूर्ख कांई | मूइगायने धुवावेतो ब्राह्मण कदे के पूर्णका पूर्व याने बांधे पाहतांना अनेसूनी जार तो क्लीवेल्लूरेनीछली करता बचदेवको अरे श्रनेनूमां दिए कि दंग देवता का कदेनीने इमदेवताको श्री कृमने संस्कार करी वैराग्य की श्री कृमने ले ईदा गते दग्भेदीयो। तिना रेप श्रीने मनाथ पासे नावे श्र६ दीक्षानीधी विहार करे। अने जिहा२मिक्षा नेजाई तिहारतेना रूपनी मोदी सी| सर्वघना कोमकाज की जो ये फिरे सर्वकाम विसारे एकदा श्री बलदेवमुनी भिक्षाने अगमा दिपेसता वाने का एक "स्त्रीबलदेवोरुपदेषी | जोती मधुमानेन रोसे | आपणाबेटाने गलेर सोदंभो तेव्हने श्री बलदेवे बोमा मौ तिवारेवितो माहरू पर्ने प्रकार हो वो । जेरुपदेषी तांशव अनर्थनी एक्वेदी बालक नोपपकने लागतो ते श्री बलदेवरूप अनर्थदेव जोलीनेनियमची जपवी गोममादिश्रानिज्ञान लेवी नोवेमाको |वादी काष्टवादी तथा सार्थवाहादिकान्मारुं तादी येतो से इमचिंततीचे मोदिजर रह्यो ति हांगां तिपरिणमदेशवे मनाजी रिएटिक यस्तै एह विष्टगलो एक जाती स्मरणशक्ति बननमुनीनी सेवा करे जिहां किदां साथ उतरा जो में तिरेकाल दे तो रिबीनें जलावे नातोली मे जवे एक दाते वनमा दि ।। रथकार सार्थवाद का काष्ट बेदावे घलोक है | तिहार सोमोनी १नो है। तेष्टगलेदेवी ऋषिने सानकरी तिहांले गयो मुनीने देवी सार्थवाह घणो हर्ष शमी। मिक्षादेराभावसहित कठै । मृगभावना भावैले जे मानवी ततो निस्तरत अनेन तो शदार नेता अर्थका पीवृक्षनीवालायने जोगे विकं ऊप || परिपी बिले ईमरी पंचमे देवलोके देवता या जिमबलदेवरिया श्रयाचनापरी सदसद्यो | मनसु मासु तिने रेबीजेसाह१लिस दिनो | ९२४ मीक रा
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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