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________________ मंडल) सा०याजोग्या २१० चविचरेनिसाधूनजी समाधी काण्का जेका मिलेगा दिक अनुष्टां समर्थसमर्थाइजा० वारी सर्वथाकारेवर्जतोथ की करीसहित डीजेनी‍ नकरतोथ को नि०क्विरे २० देवानेंविषे जोलीने प्राणात्मानी बनयारी | सावज्जजोगंपरिवज्जयंतो । वरेज्नभिरक्रूसमा दिई दिए १३ काले कालं विहरिज्जरहे॥बजाब जाणिवप सी०सीदनी परेस० वी ववननग्नीने दिपक उदय यावते पापताना विधियकारी अधिकारी स किरीने नवनवासे न० विरुवमोचन मान्न के जै१४ उपराज्य कर्मनी फजइम विचारतो को १० संजनाले सर्वद्वादिकतिष में लोयासी हो वसद्देशन संत सिजा यजोगसज्ञान असझमाऊ | २४|| नवे हमा गोनं परिचज्जा पियमम्मियं सङ्घतितिरक एज्जा न सर्ववस्त ससर्व स्थानकवि नवनवबै९०४ जागा मा पा जेण्जे नावथी संवतीर्थ करनेदे (भन्नय०त्यंत बेदेबी ने अनिलायानकरे मीनिंदा पिएनां संसंजती १५ | २० मनुष्यनो कनेविषे पवर्तेन समुद्रात साधू बीमारि नयस सङ्घ निरोयता नया विश्यंगर हेच संजय २गबदाइमा गवेदि जेनावर्ड संपक रेइभिरक्त भयनेर वाता | महापमिवज्पांपटी दिन्देवतासंबंधी मनुष्य संबंधी अथ प०परी सहाऽदो दिलास० स०सीदाइज० जिव्हां३० से०तेसमुद्या ०क फ्लैवैमी० अतिरोऽ नातितिमतीर्थव संबंधी परी मदऊपजेते बमे १६ सहित बावीस २२ | का०कायरन०नर देते जतिहांप उपयंतिनीमा भय दिाम एक स्साय अडवातिरिता १६॥ परी सहासिहागे सीयंतिजार कायराना साम्यिके न० सं०संग्रामने विषे६० जिमना० हाथी सेना | सी०सीतम देशमा आपति。कारना करतो वीदेनही जि०साधू सेनरी तिमसमुदपान परीसह पनेथ के नासेनही मसाना कान्फरस | फरसेऽद्येदेवरीनें कोतपतिहांऽपकृपने थके | पते नवदिज्जनिर संगामसी सेवनागराया | १७|| सीउ सिया दसम साय फासा आयेका विविदे संति देहं चदि उ | दि०डप रण्कर्मरूपलीरज वेण्यपावे 90 मो० मोदनाहीने नि० साहस मेοमेरु पर्वत जिमवाय वायरेकरी ग्र दीयासे सर्वभवनाक०कीका १६ निरंतर वि० विचक्षण कंपे नदी तिमासमुपाननिजपूले या सइज्जा राखे विज्रेकमा हाय रागवत देव दो से मोहंच निरस ययं वियरको मेरुचरा एकंपमालो १० परी सदा प्रा०कर्म का बानी परेसींगो सदा साप मे अमची कोरियनन्नंज्ञा सेन्ते समुपाल सर पदमा ५४ को माना की नादीन्तारहितनाश्नी ग०निंदापियन कुं जनाव१०पमिवजीनें कर्मभोग एमसमे भावेष वोन इंदी न१ पारहितममो संवसंजी સંનતી | परीसदेय सेस देता फन्न एनाव ए एम देसी| नया विश्यंग रदंवसंजए से उक्त नावं परिवज्जसंजय निद्दामांविर ५० बॉमीनें [रागत तिमनदोष १० निःसम्पज्ञानद निवाविरु मोक्षमार्गविविर‍
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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