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________________ उत्तराध्ययनट (७३) नामे राजा क्या पदरीच्यासी । तेतारो महरिसी इम कही साधुविहार की दिवे भाग्य जोगे अमेमिया राजापूर्वस्वरूपाणीस्त्रेद लीतिव्हांपरणी सिंहस्थरा जाति दो मास १२ ह्यो। एदवेदिवश विद्यामो तेने राजा कहें मुकविनोघां नगरां मां देवोरभूमिया १३व करता होसी |तेमारै घरे जाएं तिवारे कनकमा जाकाशगामिनी विद्यादीही विद्याबने बरतना गरम | लोकसी या एहवे एकदा कुन कमा लाविद्याधरने मोकज्योते शादी कदै तिदां एक जी स्त्रीषमानेषु न ते मोमो नलीतिद जाएं एक पाचमनेपलेले राजा तिदां यादीन गवसायो | सुबे भोग विलास करतो रहै। इमविद्याने दने जावे यावे । तेमालो के नग्गइना मदी हो। एक दातेन गरने परिसरे वन की मानि | मिनी सोराटे एक चांरो फल्यो त्यो सुंदर मांजरदेवी राजा । एक लूं बोमी जी कट कराजानादेवादेषतिम जलायो तेक्षिएक ए महिस्मरूपकी क्षे। राजा की मा करीवजी आंबा पास या मो विरु १दे बरे ते सर्वात कही राजा निसप्लोविदारे एरुपजीवन बोस्थि से पदा सर्वसार। इम क्वारी 93 ने राज्पदेई दीक्षालेई केवल पोमीमुक्तिगया इतना इश्क बुकथाः एमारेश्त्येक समकाले जन्म स | मकाले दीक्षा समकाले मोक्षपता असं मात्र जियो वै विस्तारटी काथी जाए दो । एमा पत्येक सिधासम्मन्त्रः यायेसूत्रं ॥ ॥ सान्दरिने विषे १० सो० सिंहसो र देशनो १०वादीने राज्य० ०नदाय सावधान४१ रा०राजादण्ोरीसमान संजमा नराजाइ एश्मन • राजामा निष्मी कल्पानि जिन 909 राजने दिवन्धोरी समान सासननेविबे विवेक● स्थापन एवंनरिंदन सदा। तिरकंता जिएसासणे उत्तर देऊएं सामने पज्जत वहिया | ४७ | सोवी रण्यवसहो। चतामुलीवरे उदाइणो १०दीक्षा १००म्यो० मोक्ष जीसी गतिमान |पन पत्रोगइम एफत्तरे अध उदायन राय संबंध: सिंधू सोवीरदेशेवरी तनयपाटण | उदयनराजा लावती रोगी ने मामहाराजानीपुरीते दनेएकऊज्जादासी स्मरहित एक दागंधार देशनो शव हिदीत न पटले गापार निमितेायो निभक्त शवेतले तेतिहामांदोतीसार रोगथ्यो । ते हवे ऊब जादा सीसाधू मी जालीते हनी सश्रूषा सेवा की थी। |पपपली करी साजो कीधी। तेले श्रावके वाजतादेवाधित गोजी पी एक गोजीमा दिन रुपयासी बी जी गोली षाधामन चिंत्योपुरमीस इमकर दीते शक्क चाल्पो दिवेदासी एक गोजी घाधी ते घीसरी र सवर्णवर्लयो तिपवैनो के सवर्णयुजिकानां मदी। बीजी गोजी पाठांउ जे बीनणी स्त्री नोलपी चंद्रद्योत पोते चिंतमो तिवारे देवतानं वैश्द्योतने सरूपक ह्यो तिवारे वंमश्योतराजा अनिल गिरदा थी ये बैसी तिदां आयौ सवेदा सीलेईन तेलीमोश्माते अनिल गिरनें से दिनां ये जा एपो नं१यो तदा सीजे गयो तिवास्तदाय न राजा मुकुटजाम दिन कलेई चढगे। टेवता जेसलमेर ने बाल सरावी देतो पांणी नहीं निहोते लोकरी नाक्ती सारी ते ऐक्षयशी की आजनगेवेतेागजी ॥७३॥
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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