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________________ 20 नोवैरीसिंध मयदिशमं तो नासीजा ये एये वेगी पारप ११ ली कदै । एक स्त्रीररवेदी गलेश्मा सांमीच जावा लागी ते के हो कारण मदन काकहै एट्नो नेदमश्री को मिये संगी कदै थिचोपेजसां । तेमाटे काल उत्तरदेसं तेरमेदिनवजी दारोदी भी मदन का रांगली कहै चं मानो वाहनमृगबै तेहने ना दप्यारो लागे | मनमेजां एपो नादे वेद्यो वृंथांने तो रामे निमभरतार साथै विजास करूं ( १२ बजीरो पीकदै एकलन गरे व्यवहारी यानें घरे स्वते दने यहणाघाते घूमामा दिघाच्या एकदा ते वस्तावै यानी छानोमुद्यादिनां आज गांधी से पानी मादरापदि | सागया के हेनी मदन कतिले किम जाएगा तेमदन काक है थेईज जांगो। उमेको रोली कदै । यजतो हर्षना गीतगादा | कालेकहिसं राजावादमे | दिनवजी दारोदी भो| अरे मदनका सांभलते खनोमो कावनो हंसो ते मांहि पल चिनकता तिल दिन नदीगते कार ए १२ लीक है कोई साहू | कारनोसमासे पर देखा जावानी तयारीही तिहारे ते हनी स्त्री हाथमेवी ला जेइमनाररागगायो यतः पोसमास सुनिसचीन सांडवल सवार गदिकर दीनश्वीनतिय रुग्णे समज्दार र सेवा ल्योन ही स्पो का रा ते कदै उ मेजको सबै हिदि | राजापनरमे दिन क्लीवारोदी श्री मदन का साजन मल्हार रागथीमे गोते नदान्ये १४ इम नवीच रिनकारी कथा कही | मकर वोली करी श्रीतमने वस की भोरी जी शो को६पकरै एचीतारीपावली शोभरतारबोसी जीयो एप एप पतीराजा सर्वकार्य क्या नमचिंतनी बिनिहालै एट्वेसमेक |नक मंजरी मध्याकसमे वा समादे घर को है तिहाए कली देवी जीवनें 39 देशदेवे रेजीननिमांनमकरि किएक अन्य थी एसंपदा प | मी जो गर्भकर सीतो राजा कोपकरीगजवोदेश्कारस्यै तोता कपरनो करण द्वारकं एक स्पैविता तोची तारो वै । एदवी निंद्या करती कर्म नेभोवती देवीचे ते हवे बीजी रोली यां बिता की देवीरा जाने कदै विकारलीच मनेकाम करेंगे / चालोदे पाड राजाकहै वारू १ लशी | देतो तामी निंदा करे | तेसानजीराजा पुसी थयो देशोएस्थिनी गर्ननथी करती एयमांत एद का मांस उपजावै राजापटरांशी थापी एवेनिमाचार्य पास्तेनी देशना सांभाजी राजारांली श्रावक धर्म आदस्यों नेधर्मपानी से थारो कर स्वर्गपांगी। तिव्हां थी वहीं वेतादय पर्वते तोरणा मगर कनकमा जान मेई अति रूपवती एकदा वासवविद्याधरयपदरी तेली नेहांकी एहवे पानीमा दवा तेवास विद्याथी युद्ध कीधो विकेमरा कुमक मानाधवनो ऽप करवालागी | एसजेएक विद्याधरया यौते का हसे पिता जान वनाचीतांरानोजी वडे एट्वेर दश हिनामा विद्या मते कनकमालाने रूपकी थी। कनकदेवास व कनकमाला एविरूपदेवी वैराग्यमीदृशक्ति विद्यादी ज्ञानी थी| एस्वेसानव नो पिता ते ले माया फेरवी जीवरामी कनकमा जानेते कन्पा सास्वेतथई । विवशविद्याघ्रकरैं लाभवनी मादरी ने अंत समेधर्म संभला बौना फलथी के विद्याथ्यो तेहनो उपगारबै दिबैकनर कमा जा सकने अवेत की ते साक है कनेक्ती देश अधिकरूपदेवी रखे कोई लेनाय तेली रूप की साधकदै मादो अपराध | मज्पे | उम्र में असाता उपजाती भक्ति साधूनें जाती स्मर एन कपनो तिहारेकनकमाला | माहरो भर्तार के एसी साह्कदै सिंदरर
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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