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________________ नही मारुनीएक रोमनेउ जावत उपकरतोजोमनाउपाबामात्र पिए आत्माने िऽवनय ऊंवेद लिपरेमा वेकरीन साकार मातीदियामाणसमाजाबनविद्यमाणसवालोरकामायमविहिंसाकार रकमयादिसाबादमिश्वे सबधालय जावत्सर्वमन देकरी मावन कपालेंक तामनाघका लनाथका तजभाकरनी नालनाकर जावउ जाणसवैपाणाजाबसवेसना दादणवाजाबकवालेशवा झालोदिमागणवाहिमतधियसानियमागावा जावनदवि करतो जावदरोमनेपाझवें हिंसाकाराऽरव जय वेद, वुजालीन सपाण जावममय हलवानहर प्रमाणवा जावलोमुरवणमासमविहिंसाकारंडके नये पहिसावदेशिएवंसाचासोपाणानामधेसला नहता नावउपपुवा एवम ध्रुव नित्य शास्वन १५ र ज्या जापान सर्व कहि एलीपरें नेत्रित विरत प्रारतिपानने मकाकई व विष जाबननावयवाएसधाम्माणिशंसासतेसमधलामास्कमोदिपावदिवासभिरविरतेपाबायाना मावत मिभावशम सिककहाय देनावनकरी दोनपरवालईनही एमजन एमबमन पमपन प्रमादिकाकन की निवास नोनित कहो वमिवादसणसालानासनिकादितपरकालगणक्षतघरकालेद्यानाअंजण नोवमण नोश्वर्णनावादिल से प्रक्रियादिर नीवकाथानों कोबरहि जावनी जोनर उपशनि समावंत एनिश्च हनाहियकत हित सगर्व को संयन विवि नरनिकिरिशअनुसरनकोदेजावलोनेनबसातयरिनिवाढएसखसुनगवया प्रकार मंजमविश्य प्रतिहतहरपा से कापकर्मवरवा कियारहित मंहत एकीन पंमिनोई महंमुधवामाईजवळूजा शुनस्कना-बयाप्रसारमा कराए नकियाँनानाभवनबममात्र पडिहयपचरकायपावकाम्मन्नकिरिएखादेपंडिण्याविनवतिनिबेमिनीयमुसरकधस्सवाना स्वपाचमध्ययनप्रारंजायें वाथेममय जेषमा रमान किया त्राही चलय विवेकीप्रज्ञा प्रागनिने थम्मन वि अनाचा कहातेमाचार बननेवाईएसकारण अनाचार सालवाजमारमा नईयन वन कहस्पिवाश्वतन रनई apaरकाशकिरियानामननयमसमाधास्त्रादायबेनावरचानापन्नेमामरिसंधाममयणाया पीबनन दरवज चुकानाचारमाचार नामयनकाय
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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