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________________ कब हरने शिपाई एनजें वे कोइ कसंज्ञिपि तिदांतेजी व दोत वादन पनि पारि थाई एमएकनि दिकनीवाजी उदयच्या बोठे वमाह ज्ञयाथ गो.ज्ञां सन्निदति दो वासन्ती ७ वाजसन्नी तज्ञांसप्रविविविनाविभूणिता प्रमाणुना बिता तेजी वासंती काय संज्ञिकायाई संक्रमई १ संज्ञिकायथ की संज्ञीकाय संक्रम 2 यज्ञीयो थाई निनावें व जी शिउजकहि वाई जोजवें थक जन्मन तुं कहि कि ज्ञीया मिमाबाद जीए दो व कला मंज्ञिकायाथकी संज्ञिकाया संक प्रसन्निकायजंदा मनिका टांसे कर्मति र संनिका यादवांस सन्निकायसं कमेति २ सेन्निकायानं वासन्तिकासं स श्रसंज्ञी का यथ की मंजी काय संक्रमई एवो जेएसंज्ञिया अथवा एसर्वपचखापनायें मिली जंगी जी एलबी ४ जिम को एक कमति असलिकायाजवा असन्निकार्य से कम विश्वजिएए सन्नीवा' असन्नीचा सातमित्रायारानिय सद रुषागतमिति प्राणानियादं जायद मिथ्यात्रा १८ एपीयरें जग वेनमहावीरदेवई प्रसंजती अविरती हल् नाथकीय नोकरी मे नाकाहार पापमण्या यो विवातवित्र दंडानं माणानिवातजावमिश्रादेस सबै एवंखलु भगवता प्ररकाएं' असे अप्रविशत म ना जावेद नथा परखांकरी पापकर्म जीजा तो कृ शासकिय सेवर एकांत देऊ एकांतूना एकीन तो बालमविरत न वन पडिदयपचस्काय पावकम्मे सकिरिए संबुडे एतद में एगंत बालेखांत सुमं बाल अवियारमण व रेंजवरम विनोज मुनांतरें पति नदेष पापकर्म हवशिष्यवजी तेजीव किनुष्ठान करनो किलो कारें बन गून् जा गई किस कराव त | टाकाय व के' सविएमविपास पावेय से काम कहानि बौदकास किं नेकु छे कि कार खं क दसजय दिव विर प्रतिहत हुएफा के प-चरबायें करी पाचक म्म जेलें एक तिहासयन पणाने उद्भव काय देव कार एकता तेक पृथ्वी का माय बोला जाये निश् सगर्वनें श्यप हिमपचखायाव कानवति आदायहि खलु भगनी व कासार ऊपन्नात तंबुढविका या जात्र काय जिमको एक पुरुष तुरुनें नेकडे देखें स्वी बुटीकरी पाषाोंक देषाकरी बदीये इकाइयांजावन मकाभ्यां सजहां नाम मम अस्मात डाडवा महीए वामुद्दी वाले वा क बालियांवा कायान पाप क संजन ४६ क की मद
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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