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________________ (दिक मनुष्य कम्मर भरपत्र ३५ अकम्मन्नमिना १६ अंतरदीपाना आर्य ने टेकना पीर नानावलगवरय कार पशएहवामापरण सगुडाजा maaniमणुस्साग कम्मरममा अकम्मनमा तरवीगामारिया पिलरकोभरीरानाशालाना दिवईनी ववव सक नगर्वनर वर,अनरोपकान नानाप्रकारनी जमवरचित तिर्य-बयोनि su-ANUS नजानेकोठे माळलाक पन । माश्रीको कनायकारकटिएपनि करनकपाबीन बतासिजावभरकाये महांबरंपुरस्कायाविहाजमवारापंचिदितिरिरकजोशियाग तजहाँमबागोजाव. पाव खुमारा नेदन यथाबीजई यथावकाश स्वीपुरूषनोवेदनई उदय मुकम्मनिवर्तितनानिनिवारते एकप्रदेशे उजत्रा नाविऊपजमवयन जांबत ने मुसमारावंतसिवअदाबीएशोमहावगामवीररिसरमयकम्यकताहजादततोपादासनय मार ािर अनुक्रमें वृदिपुऊना निवारपळी-गथकी कानाकरे एकरूपजए एकपातरूप मादा मारेति प्रणव मुद्धापलितमितविना नतोकायानिनिमाया अंडावायाजरायोतिषीयंग अगाई, नेअंथको उमद्यमान पकञ्चविदर्भ, नायरक एकमवेदनाक एकनसकवेदई, नीकलई जीव यानण्यतिसिजनियामाजिवेग्रयाजाणगंतियुरिमायगयानशायनिजयुमगवेमयाजणनितिजा बालकथका अप्कायनी ग्लह आरवलीअनुक्रमें वह व वनश्यतिनी बारीर तथात्रयथावराला तेनीवाटार वाउहरायाला माहसिामाशाहाति अणुयुबेणेबुढायशास्ततिकायेनसनावरेयमाणातजातामाहा। थवानीशंका जावनापूला अपरमानेरापिल ने मानाविध जलवरपदी नियंचयोनि मावली बुबुमार नाNirasajestants पुनिसरीरंजावसंतंत्रवारबियासिनविहागा नवविक्ष्यितिरिस्कजोणियागमनागांमुमुमा सार नानावपछि जावश्मक नग थमने था तिर्थकरे कषु नानाप्रकार यउपद ललचर पंचेंदा नियंचयोनायब नक पोजगमा है राणेसरीरानावना जावभरकाय प्रहावरे पुरस्का नाणाविहाणेवणयबलवर विरितिरिखजो MAINEERattant मान ANNEHit
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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