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________________ मार्य माय संयम मिथ्माधिनाविरति चिरनिसावधपरित्यागनेमात्रीपछि वि० कारमयमांमयंयम बानपंकिनकही निहायता सम्पत्य अविरनिनकहिवा' परमार्थन जाए कहाय नेमाश्री कत्रिए तेविरत मानीबालकवरातन विरतपबाल साहितिवितियतिमाहिया विरयाविरईपच्चबालयतिरामाविद्यतन हिवाई योनकने नेमथकीयदि आरंजस्ठानके अनार्य मावर सर्वऽरवनायनकरै एकांतमिथ्यात्य अमाय निहंजेम विष रविसबछापिए स्तनकने जासासवताविति एमहामारंनहाणरिए जानसबरकमहीमायागंतमिबेमसाहेबांना वचकीविरन एस्लान कई अपारंजळानके आर्य जावद सरवनाशयकर, एकोनसपर ना५ निरुजे सांसवनोविरतीसंहाणप्रनहारणसवाणप्रायशिजावसचमुस्कमहीणमाएगासाहतवणं सर्वयकीविरताविरत सेयमा एस्लानक प्रारंन अनारे जम्लानक एकळानक आर्थपरं. जाववमः स्वकालमा एकतिसम्म पराई जासासविताविरईएसहाासणे प्रारंजारणारं नहाागासहामारि मावसबरकमहीयेगसमे सावू लापरे, ने प्रतिपालनकरना ए बिस्लानक माधवनर बेस्ठानक एकचम्मम्हान बातोश्रथम एकनपशो कर छानक तस्वानका साह एवमवसरणुगम्ममाण शमविवादाहिंहाए हिंसमोअरेनि तेहा धाम्नवप्रधामवववमान बीउअनुपात निदीजेप्रथमलानक अधम्मपकानउ वरूप कलस्व पिहानीबिपत्रिमनिया स्ठानक. माना जे . बेमणुवसानाववतन्त्रणेजोसंपदमहागरसनवम्मपरक संविगएमाहिएतस्मणश्माऽतिनिातवहां अथवामनानरें वे एम नगर्वनें का नेक ने कियावादीना१८० प्रक्रियावादी घट अज्ञानवादीमा विनयवादीना बाचाज्यसयानवेतितिमस्काया जहा किरियावाण प्रकिरियावान्नाणियवादीविशातियवा १३५२ तेपुरणमाषणामनने मनु नेपिल मोमोमाको तेविण कलेजेसम्ममकतेआदरोमपाषा राण नितिक श्राव के कनेपिएकअश्वीना मोजलाकर फापर्ने माधि दीतिविनिवासमाहातविपरिमोरकमाहेमतिविनवेनिसावगातिविनवतिसावश्नातसयावा २००६. 22
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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