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________________ एसवेक्तिस्थानक ऐश्वर्यनलचंगारशूल वली एक तेपि वीब तिने एक के पानें मार्यांनी एती बीळ नियागादिक चीनवाई लोनीयाका राजानपदवी एलेस्ठान केंमनार्य महापुरु बोळई पानाची सहनें विषु मुहिनोमा कारण महास्महिया व अनिमिनति अणुदितवान् निगितिमनिका ॐ त्रिमिनिस हा एरिए तेलता अनि अनायव स्थानकें इंडियसंवररहित व्यसिद्धिमार्य निणिनो एनिर्यास मार्ग सर्वस्वनाय नोकरणा नथी ननदी मजुर दिन कि संबोधनधी अधवारा नाक थसिद्धन मानथी नमी मुद्देवले बुझे प्रमाण असिद्धिम अते चाणमणिद्यागमये असच रकम ही एम श्रमुमिये एकोनमि एकार एलई प्रथमस्थानक थान कनो विलंगक चथतलाक वीज स्थानक धर्म पन ध्यानोस्छा साधुपंघ निश्च हारनथी डिपाया सायनंनर न उत्तर तद्यचा चार्य. एकेक गमा शिविदियें एकेक अनार्य एमनीच एकचोट ये एग मिळे प्रसाइ एमखलु पदमम्स' हा एस्म अधम्मपरक विभाग माहित आहा वारांदाच महाएस धम्मय विनंगविचारकही येळे एन निर्वादिदि पश्चिम दक्षिण एकेक मनुष्परस्वा बैं एक स्सं विलोग एवमादिद्यति इह खलुपाई वा पडीवा नदी वा दाहिणं वा सातगश्यामनुयासवेति तंज हा याय एकेक उंचगो जंवा एक एक सुवर्ष एके कडुवर्ण एकरूप एक रूप तेदन क्षेत्रघर रियादागमारियांव उच्चारणीयांकाय हम सुबन्तावागवन्नादि मुरुवरुवा विगतसिंग खेलव परियद दोई एग्रा जावो निमज कवि निमपरीकम जावन सर्वपत्र सर्वपापानकीप सायन भी पर म सर्वजीव परं मम ना लिपरिग्रहियाईन वंति एम प्रजावणात हाय हो जहा पौडीए जा व सत्रोवसंता महापरिनिबुडिंत्रिनेमि (स्थान कार्य केवल जान सर्वखथ की प्रदीप एकोनसम्पर्क कार एनले बीजो स्नेहनस्वरूप कसे मार्य श्री मोमार्य सामा एम वा प्रारिएके वलेजा सबक ही गाये एगतसम्म साह दोघ महासंमारक स्म विनंग एवमादिशत हवेंत्री मिश्रष्ठानको रूप कही ये "मिश्र छानकॅन करू कारने कंदमूलफला तापसादिक एवं कनावा यद्यपि विशेषकहिले हारी मिथ्यादृद्धि पिकेतली एक काय शादिकरानें किजि महावरे तच्चस्स हास्स मिस्मागस्वविभाग एवमादिद्यति नेइमेन वेति प्रार मिया झावसहियागाम लिय मियामासुराधान अभवमिश्रित पक्ष एका मिश्र पर माल की एकमना वा यद्यपि मिया दृष्टि एप केतलीए कविरनि करें तथापि जऊपजे ६प परमार्थने मंत्रीएपनि माकरनपानमा परे उपर मेघष्टीप तेन फलदायकमथ एका र मिश्र पक्ष नो विशेष धर्मपत्र में मिलती ई 1
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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