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________________ चर्शनहीक परिकमश्नही मानामाक्षिकनि पुरयादिकगर कार्यप्रगक विक्रीथिनान कार्य करवाजणीमाव यथायो नही नही न रवाजणी नेउन कर धाननथाइम्प मनकर Anामालातिमापदिकमतिमादितिमारहस्लिाविनतिनोविमाहतिनीकरणाएअश्रुहेतिमान प्रायधिशपविजनही मायावी इणिलोक अविचाशनीष मायावान पुरुषपरजोकेंनरकादि मायाबापुरुषपरनि क मोहिशिक्षकमर वारंवारपाम सरसकघटिकवर गराणीप्रयानाकर हारिहतवोकमयाय बिनयडिवतिमाई मिलाएपधायानिमाईपरंसिलाएपञ्चायातिनितिगरवतियसे अपराधका प नि कायान्मादशाईनेदक एलीपरेयदा श्वनलेइपाई प्रवननाथकै एमनिश्वई नेजावनें तबसय लोकार्यों के करानेही कर सतिमिति नियतिलिसिरियडानिमायाप्रसमाहमुहारमयाबिनतिएवखनुसतयत्रिमंसा तेहगावद्यकम्म पतलें श्पारमा क्रियारलानक मायाप्रमयिक कल अथएनसकला बारमा क्रियारलानक लोजप्रसायक बै अनेन। हि तिप्रायतिकारसामकिरियाहामायावविशन्निनानिहावरेबारसामकिरियाहाणलोनवनिरात्रि | कायै जेमागनिकही भारतिकअप केईएकपाननाउ अनेकाजीविका किए हीएक कायनवि एन.यबारातिया एकलाब सेनेटरा बासा कंदमकबरूयाक रा२6 निमियामसमीपर रहस्पन करणार एसब नबनादिकन वियतनपाववि प्राक्षितिजमेनतिजा प्रारलिया भावसदिया मतियांकरिस्मियानोबसंजयोमाय एकदाविना. र तिनो कारणसम्पर एवं कारणे सर्वप्राणनजीव व्यापणपने पार्षीयासत्यषा अह। ॐवादापायक अनेराश ऊँवपत्रिन अपन दर्शनमाप्नथी मलयकाअनिन वचनबोला तेकामादिहणोनही दिकहलवा था विश्यामचंपातंजीवमन्त्रशित अप्पालासनामोसाएविपतिदावाअन्दा महान मज्ञापन बीनाअप्तापवानें कामयादेशदे अनेराभूपदिकमा सुमनें परितापउपजाव अनेराश्नुवादिकने परि मुक| दादेवा वोनही तापउजावो द्यावतो अन्याय सहनयरिचित्रोअन्नपशियनचाहपस्तिावितबोअन्यरिताबयबामने ने उपपवनकर अनेरान उपप्रयकरवा एलापरें लियादक काबमनोग-विषम यम कामगोगनें विर्षे अनिमामलथ वनबाई वर्ष बी महावयबोअन्नहावयबा एवामातविकामहिमुखिया nिादियांगरहितासामावला जाववासाईच नही TN किनाना को
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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