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________________ आजची राजानें समीप काउं रागदारो मू मी. अह्मेत्र्यापणाधम्र्म्मनाप्ररूपणदार एप्रन्ययापस् तेम्मे तुमनें अदोलयवी जिमए माद्रोम् सगडागजी सुगमण एतचन्नयधमन्नानारो नय मिमे धमगमन्त्रवइस्सामा में एवं माया एद नये तारो ऊ दमएएस स्वायात स्वज्ञबई पासा खलु रथिव्यादिकपतिपादन पंचतंत्र्यामतें किया प्रक्रीयादिकसर्व करीये परं वात्मा कियानमा सक्कियानजा 9 रवि मिश्र सर्वजगवा मुरुननन करें यतः सुअरकाएं सुपन्ननवति खलु पंचमनुता मेदिनीको ति किरियातिना किरियातिवा मुक्कमे निवाऽवधान नजा कल्पांगनजां जानू अनारकीप इलि कारण साध्य नें मनें जे कोई आत्मा सर्वघापिका ने उसमवाय थ ज ज क्रियः कर्त्तानि बाष्टें नजीलाई चिनमा विव इनकर कई मा एः श्रन्नमात्मा मेतिवाक स्वातिवा डाव अनिरएतिवा इतिप्रेत सो तमोतमविवपिदे से पुढो तं समवाये जाणे द्यातं कपिलदेशन 28 वी पर्वतादिकए एक पांणीनदीसरोवरसमुद्रा अभियान कंपनकर काका बालए एपांचमहात बोधवा निमिन्नर महात किनीएवी नोदातून कारण एत्री जोम हालून चहान पांच मो. महान पदवीएगेम दद्भूते। प्राचे मदलते तेवत मदते वाउ वन क्षेम देते च्यागासे पत्र मे महत्र ते चेत्रे पंचमह कालईश्वरादिके नोपजाववापिस असत तोकिए ही की जी इंनी चिकनी नेहमी निःचितेनो निधन अवश्यतेम तेटने कार्य स्वाधीन मीपजायानधी नवी नेघटादिकपदाईनी पीने रानीमा नाजान थी नाक वर कोनथी. श्यामाशिमिया प्रणिम्माविता क मा किलिमा नोकरुगा-प्रेरणांतीया प्रशिक्षण प्रवेशा अधुरो दिया सतं शाश्वता आत्माजेदने क ठों पर या पांच मदा नून विद्यमान पदार्थ नोनावा श्रविद्यमानाशशृंगादि साष्पश्मक जीव कायएन एस खुजवलीयतिका जीएस बा बली एक इम कहिकै नवी नोवपत्तिरूपाकार्य बीज पदाच तासासा' [प्रायaaigएएएवं माऊ से तो शनि दिसो असतो ननिभवो एताएताजीव काए एतावता लोकनें कर मुरम प्रधान कारण मात्र कार्य नाजी बीजोकरण से किया अर्थी कोई तथा जो पवई हारको नयाँ ६ वें एक वादीइमक है मात्मा एक थाने रापाहिलीयाने चिकाएं एतावता सइ लोएं एवं मुदं जोगस्स क र एमाए अनियंत सोनए माय मवि से किए किए वे माणे हणंधा दागी नथाई, इसिजे नाणी यथाचे हिंसा एलोज सर्वलोक पंक जबर्ज च्नेशा पचनापायेंकरतों पनि तितो दिया कर हात मा श्र★ दिसा वा व्यापारें यमाप संपसावमाशे किमेत सोधुरिसम विकिपिताघासत्रा एवं पिता दिएदो सोने से एवंवि‍ * सर्वथापिनथी एकमक है क्रियाक नकरेंमन मनोवेशन श्री 20 पदार्थ नेकोन एरों का रास् [तीकनिमांन जोमात्मा कहलि तो अक्षतीवस्तु जातियों का र आत्मा की नही 9
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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