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________________ चा दो सिचव मरे ॥ १५ ॥ राजा एता गरिबैसारे ॥ इद्रा जेग बोले बोसरे टाकर नोक बोसुतरे मर जैतेनी पनि टोल रे ॥ २० था। बाल बं बा पर बोली यो रे। पाला जे की तमंचरे । तै में करवाई महि उठनै रेघमला सिरटा कर पंचरे॥ २१ ॥ विज्ञापिल मंगला देवर द्या रे पाला ना दिववा पूरे टाकर मारिमा जा र सुरे। कुछ मलो करे पुकार रे॥ २२ पा॥ मुबीज त '६र ली परेषक है तो वि वा रेबिजी जाटा कर दी. दि कि मरे।सदिय अमितो मा हरिद्वारे २३ पा मा मा क है जो जस्क रे रे ।। कट किकि सिकिने कारेर कपासना का चरेत ला तो मृग रा जरें ॥२॥ घमोचितै ए राजा मदिरेन दिजा ऐ जा द्वाजरे षा पर ताजा जिसि टापरे ॥ मुषवि जागे जे मा ररे ॥ २५ पा॥ पु कि जै बोल्पा न विकार रेप तो श्रापक माध्या काम रे ॥ न यक बैस जैता जीए पापी मारै इगम रे ॥ २६ पा॥ पंधि माना सालार मी रे । कमराग मला र केला नव६ नाप र नेईरे ॥ पालाउ परधिक प्री तुरे ॥ २७ ॥ ६ षापरक है चालावे का चरिका ॥ माघ पानै. य मैं ति हो जाए वा साज ॥१॥ तबपाला बाले इस चालवि मिस बनली व 5 मोल लिया माते । २॥ करि सके त चापा. सहसा या राजन कार॥ वा न म जारि तिहार है । रष वाला बे सार ॥ ३ ॥ बिली कुंक र नैक कंचु रे ननु मैाजा। चोरी करवा है।
SR No.650003
Book TitleVikramaditya Chaupai
Original Sutra AuthorSomgani
Author
PublisherMansor
Publication Year1882
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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