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________________ कर तारे ॥ । सो नारो दीना रजे को मिसमलेष वतारे ॥ षा न क स चेरि धारक रबदार सुरे॥ जिवजा है जिलविध की त्या ते कारिजनविकर मुरे ॥०॥ एक दिवस मुरुम वजे ॥ चैौर करता मारे। रोई बै. मीर है। मै मन विचारे ॥ षाणाच वाचे दर जजा ॥ पदे मैसेजैरे॥ चारुग था पैद नीजिकै ॥ तुला या बैरेल बाकिर या हो रहा क है। क प त्र से किना मेरे ॥ इएलाइजा या बौ कुरा का मेरे ॥ १० ॥ ते हक है वरदानै ॥ षा पर चार दी तो रे । विद्या है से एक। स गला ना बटन जी तो रे ॥१९॥ नामनहिबा नौ कि दासला मुमने जाते रे ॥ देवी देवमबल मनपा तो रे! १२षा० ॥ चाकार र हेतुमाहरे के वासु थामिरेमा टानि से वा किया। फ यति मोरियामिरे र ३ मक है। भाप व मै मै पायौ रे दिव स घा जाता की वा जान जा रे ॥ २षा ॥ ६र तो तारो न्य मा मिल्यो रे । एक ड्रंग पतिमुद्री ॥ समदिन सामावलि टो। रे॥९५॥ से वा कर सुता हरी ॥ मैनिपार यो रे। एक सौ नौ नै वलि मुरो ॥ ईश बनवली मरिटोरे ॥ ६६ वाणीषा परे ॥ बोलै वातविचार ॥ नु मे वकमुञ मनयतिसुंदर सूबकारि बर तथापर मिला चीरे ॥ क है नाभवद नदि वसुले विक्रमवदितफललियो रे ॥१॥ है दात H
SR No.650003
Book TitleVikramaditya Chaupai
Original Sutra AuthorSomgani
Author
PublisherMansor
Publication Year1882
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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