________________ पृष्ठसंख्या लीटी शुद्ध श्रीकल्पमुक्तावल्यां // 15 // श्री शुद्धि पत्रकम् 145 चतुर्थ 170 1751 GmWcs अशुद्ध चतुथ गर्ना शाखीव सहशा (अपीह) बन्धो , मंखाल गोप भागतः मसितु श्वर्थकम् तरमाद् धन 202 कुट्टितश्च वत्म घातैश्च उपसर्गात् सञ्चित्य विमुच्य चन्दना बहिर्भागे पृष्ठसंख्या लीटी अशुद्ध 2307 कुट्टिलश्च 2328 वत्म 234 5 घातैश्च उपसगति 235 13 सश्चित्य श्चन्न्दना 240 15 वहिर्मोंगे 243 माघा 245 सर्वथा 250 जनाति 250 चौर्यादि 265 4 श्रत्वा و गता शाखीव, सदृशा अपीह बन्यो, ? मंखलि गोपे मागत: मसिंचतु चतुर्थकम् तस्माद् घन 8 220 | 2218 | 222 224 | 224 माया سد م م 6 wr urdu सर्वथा जानाति चोर्यादि यतः श्रुत्वा 225 ه 227 11 272 1 // 15 //