________________ श्री समर्पण श्रीकल्पमुक्ताबा // 10 // -: समर्पण :जे महापुरुषे पोताना अमूल्य जीवनमां सम्यगज्ञान, दर्शन, चारित्र, तपनी अपूर्व ने खुब खुब आराधना करी छे, ने करावी छे अने अनेक भवि आत्माओने प्रभु वीतरागना पंथे प्रेर्या छे एवा जैन शासनना महाप्रभावक महातपस्वी व्याख्यानवाचस्पति जैनागमपरिशीलनशाली परमोपकारी परमकृपालु गुरुदेव आबालब्रह्मचारी प्रातःस्मरणीय आचार्य भगवंत श्री रंगविमळसूरीश्वरजी महाराजनी अपूर्व शीतळ छायडीए प्रेमभरी निर्मद्रष्टिअने मधुरमय अमृतसमान मीठीवाणीये मारा जीवनने चारित्रना मार्गे योज्यो छे एवा सद्गुरुदेवना चरण कमलमां अत्यंत भक्तिभावे आ " कल्पमुक्तावली" नामर्नु पुस्तक अर्पण करी हुं कृतार्थ थाऊं छु. आपनो चरणकिंकर कनकमरिना कोटीशः वंदन // 10 //