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________________ DISTIBIHIIIIIEIFI III इयमात्मप्रतीति, विरुद्धाहं न यत्त्वयि / त्वमीशोऽपि मे नाथ! भर्त्ता भूया भवे भवे तद् युक्तं यद् मम प्राणाः प्राणेश्वर ! हतास्त्वया / धन्यानां खलु नारीणां भर्तुरथे विपत्तयः आसनमरणाया मे स्मरन्त्याश्चरणौ तव / विरौति खरकारूदा शिवा घोरस्वरा कथम् ? राज्ञा त्यक्ता ततो यस्माद् दुःशीलासीत् कलावती / इति मे दुर्यशो दीप्तं कीर्तिनं प्रभविष्यति कुलपतिच्युतानां हि द्वेष्याणामयशस्विनाम् / यत् सत्यं नावकाशोऽस्ति दिवि देवसभास्वपि हा हा हा तात! हा मातर्जाता वां यजनिर्मम / तया कुलकलकोऽयं कृतो वां निष्कलङ्कयोः. अहो कर्षति वां वीडा तिरस्कारश्च कान्तजः / इदं स्फुटति मे वक्षः सेयं व्रजति चेतना इति तां करुणक्षीणजर्जराकिलस्वराम् / चाण्डालीद्वयमागत्य विलपन्तीमतर्जयत् आः पापे ! किं वृथारावैः कौँ बधिरयिष्यसि ? / तिष्ठ तिष्ठ न जानासि स्वकर्म स्मर बन्धुकि! नन्विदं मण्डनस्थाने खण्डनं प्रतिपाद्यते / त्वां कुर्मः सुस्थितां पापे राजापथ्यविधायिनि इति निर्भर्त्सन्त्यौ ते दृष्ट्वा नर्तितकर्तिके / सद्यः कण्ठगतप्राणा मूर्छा प्राप कलावती तदा दशार्णराजस्य दुहितुः कंपसंप्लवात् / ससाघसरसावेशः शिथिलीकृतवान् वपुः कृन्तान्तकिङ्कराकारे कात्यायन्यौ च नि:कृपे / मातम्यौ तदवस्थां तां यद् जवादुपसर्पतुः आकेयूरभरन्यासं छिच्दा निःसन्धिबन्धनम् / नीन्या ने तद्भुजद्वन्द्वं जन्मतुः शङ्ख मन्त्रिधी // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // BISISIFIF IIFIFIFIFIFIEFITSIK = = =
SR No.600449
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2001
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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