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________________ * शुद्धि-पत्रक * पृष्ठ पंक्ति पंक्ति। OXOCARDONA अशुखः स्वरित्पादिना वंभणो. क्षमादान घृतृघृणा जगतमाश्चर्य पूरितः वान् भवति पश्यति वगणा स्कारा परबद्याणि रोम क्रियामाणं शुद्धः / पृष्ठ स्वरित्यादिना बंभणो झमा दानं धृतिघृणा जगतामाश्चर्य पूरिताः वन्तः भवन्ति पश्यन्ति वर्गणा स्फारो %&&&177**? अशुद्धः पश्यनाप श्रणोति धर्मरथा भासादिक दर्शयिध्येति तयौषधस्य राजदृष्टि द्यलकृत बंधा वावां मुनि थैव सकल्प तदभ्यण रवगृह सवकर्मसु पश्यन्नपि शृणोति धर्मश्चा मासादिक दयिष्यति तस्यौषधस्य राजदृष्टिं चलकृतः वैद्यावावां मुनिः तथैव संकल्प तदभ्यर्ण स्वगृह सर्वकर्मसु yoOaGeoOImelaeocat परब्रह्मणि . रोम वाक क्रियमाण श्रानेक // 14
SR No.600448
Book TitleGyansarashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherVadilal Mohakambhai Vakil
Publication Year1962
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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