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________________ 36-39 शतके श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1621 // सूत्रम् 860-863 द्वीन्द्रियतः असंज़िपधेन्द्रियाः भंते!, एवं भवसि०सयावि चत्तारि तेणेव पुव्वगमएणं नेयव्वा नवरंसव्वे पाणा० णो तिणटेसमटे, सेसंतहेव ओहियसयाणि चत्तारि। सेवं भंते रत्ति // छत्तीसमसए अट्ठमंसयं सम्मत्तं ॥८॥जहा भवसि०सयाणि चत्तारि एवं अभवसि०सयाणि चत्तारिभाणियव्वाणि नवरं सम्मत्तनाणाणि नत्थि, सेसं तं चेव, एवं एयाणि बारस बेइंदियमहाजुम्मसयाणि भवंति / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 860 // बेंदियमहाजुम्मसया सम्मत्ता // 12 // छत्तीसतिमं सयं सम्मत्तं // 36 // १कडजुम्मरतेंदिया णं भंते! कओ उववजंति?, एवं तेइंदिएसुविबारस सया कायव्वा बेइंदियसयसरिसा नवरं ओगाहणा ज० अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उ० तिन्नि गाउयाई, ठिती ज० एवं समयं, उ० एकूणवन्नं राइंदियाइंसेसंतहेव / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 861 / / तेंदियमहाजुम्मसया सम्मत्ता॥१२॥सत्ततीसइमं सयं सम्मत्तं // 37 // चरिदिएहिवि एवं चेव बारस सया कायव्वा नवरं ओगाहणा ज० अंगुलस्स असंखेजइभागं, उ० चत्तारि गाउयाइंठिती ज० एक्कं समयं, उ० छम्मासा सेसंजहा बेंदियाणं / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् ८६२॥चउरिंदियमहाजुम्मसया सम्मत्ता // 12 // अट्ठतीसइमंसयं सम्मत्तं // 38 // १कडजुम्मरअसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उवव० जहा बेंदियाणं तहेव असन्निसुवि बारससया कायव्वा नवरं ओगाहणा ज० अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उ० जोयणसहस्सं संचिट्ठणा ज० एक्कं समयं, उ० पुव्वकोडीपुहुत्तं ठिती ज० एवं समयं, उ० पुव्वकोडी सेसंजहा बेंदियाणं / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 863 ॥असन्नीपंचिंदियमहाजुम्मसया सम्मत्ता // 12 // एगूणयालीसइमं सयं सम्मत्तं // 39 // // 1621 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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