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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 1095 // १केवलीणं भंते! छउमत्थं जाणइ पासइ?, हंता जाणइपासइ,२जहाणं भंते! के छउमत्थं जा पा० तहाणं सिद्धेवि छउमत्थं जा.पा?,हंता जाणइ पासइ, 3 केवली णं भंते! आहोहियंजापा०?,एवं चेव, एवं परमाहोहियं, एवं के एवं सिद्धंजाव जहा णं भंते! केवली सिद्धं जा० पा० तहाणं सिद्धेवि सिद्धं जा पा०?, हंता जा० पा०। 4 के० णं भंते! भासेज वा वागरेज वा?, हंता भासेज वा वागरेज वा, 5 जहाणं भंते! के० भा० वा वाग० वा तहाणं सिद्धेवि भा० वा वाग० वा?,णो तिणढे समढे, सेकेणटेणं भंते! एवं वु० जहाणं केवली णं भा० वा वाग० वा, णो तहा णं सिद्धे भा० वा वाग० वा, गोयमा! के० णं सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कारपरक्कमे, सिद्धेणं अणुट्ठाणे जाव अपुरिसक्कारपरक्कमे, से तेणटेणं जाव वागरेज वा, 6 के० णंभंते! उम्मिसेन्ज वा निमिसेज वा?, हंता उम्मिसिज्ज वा निम्मिसेज वा एवं चेव, एवं आउटेज वा पसारेज वा, एवं ठाणं वा सेल्जं वा निसीहियं वा चेएजा, 7 के० णं भंते! इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभापुढवीति जा० पा०?, हंता जा० पा०, 8 जहाणं भंते! के• इमरयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जा० पा० तहाणं सिद्धेवि इमं रयणप्पभंपुढविंरयणप्पभपुढवीति जा० पा०?,हंता जा० पा०,९के० णं भंते! सक्करप्पभं पुढविं सक्करपभापुढवीति जा० पा०?, एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमा, 10 के० णं भंते ! सोहम्मं कप्पंजा. पा.?, हंता जा० पा०, एवं चेव, एवं ईसाणं एवं जाव अच्चुयं, 11 के० णं भंते! गेवेजविमाणे गेवेजविमाणेत्ति जा.पा.?, एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेवि, 12 के० णं भंते! ईसिपब्भारं पुढविं ईसीपब्भारपुढवीति जापा०?, एवं चेव, 13 के० णं भंते! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जा० पा०?,एवं चेव, एवं दुपएसियंखधं एवं जाव जहाणं भंते! के० अणंतपएसियंखधं अणंतपएसिएखंधेत्ति जा० पा० तहाणं सिद्धेवि अणंतपएसियं जाव पासइ?, हंता जा० पा० / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् ५३८॥१४-१०॥चोद्दसमं सयं समत्तं // 14 // | 14 शतके | उद्देशकः 10 केवलीशब्दोपलक्षिताधिकारः। सूत्रम् 538 केवलिन: सिद्धस्य च छद्मस्थावधिज्ञानीरत्नप्रभादिपृथिवीपर| माण्वादीनांज्ञान प्रश्नाः। तयोर्भाषाभाषणोन्मेषादि प्रश्नाः। // 1095 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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