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________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 972 // उववज्जित्तए से तेणटेणं गोयमा! एवं वु० भवियदव्वदेवा 2, 3 से केण० भंते! एवं वु० नरदेवा 2?, गोयमा! जे इमे रायाणो चाउरंतचक्कवट्टी उप्पन्नसमत्तचक्करयणप्पहाणा नवनिहीपइणो समिद्धकोसा बत्तीसं रायवरसहस्साणुजायमग्गा सागरवरमेहलाहिवइणो मणुस्सिंदा से तेणटेणं जाव नरदेवा 2, 4 से केण० भंते! एवं वु० धम्मदेवा 2?, गोयमा! जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारी से तेणटेणं जाव धम्मदेवा २,५से केण० भंते! एवं वु० देवाधिदेवा 2?, गोयमा! जे इमे अरिहंता भगवंतो उप्पन्ननाणदसणधरा जाव सव्वदरिसी से तेणट्टेणं जाव देवाधिदेवा 2, से केणतुणं भंते! एवं वु०- भावदेवा भावदेवा?, गोयमा! जे इमे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा देवगतिनामगोयाई कम्माई वेदेति से तेणद्वेणं जाव भावदेवा २॥सूत्रम् 461 // 7 भवियदव्वदेवा णं भंते! कओहिंतो उववजंति? किं नेरइएहितो उववजंति तिरिक्ख० मणुस्स० देवेहितो उव०?, गोयमा! नेरइएहिंतो उव० तिरि० मणु देवेहितोवि उव० भेदो जहा वक्वंतीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव अणुत्तरोववाइयत्ति, नवरं असंखेजवासाउयअकम्मभूमगअंतरदीवगसव्वट्ठसिद्धवजंजाव अपराजियदेवेहिंतोवि उववजंति, णो सव्वट्ठसिद्धदेवेहिंतो उव०। 8 नरदेवा णं भंते! कओहिंतो उव०? किं नेरतिए०? पुच्छा, गोयमा! नेरतिएहितोवि उव० नो तिरि० नो मणु० देवेहितोवि उव०, 9 जड़ नेरइएहितो उववखंति किंरयणप्पभापुढविनेरइएहितोउव० जाव अहे सत्तमापुढविनेरइएहितोउव०?, गोयमा! रयणप्पभापुढविने. उव० नोसक्कर जाव नो अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उव०,१० जइ देवेहितो उव० किंभवणवासिदेवेहिंतो उव० वाणमंतर. जोइसिय० वेमाणियदेवेहिंतो उव०?, गोयमा! भवणवासिदे वि उव० वाणमंतर० एवं सव्वदेवेसु उववाएयव्वा वक्त्रंतीभेदेणं (प्रज्ञा पद 6 प०२१५) जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, 11 धम्मदेवा णं भंते! कओ० उव० किं नेरइए०? एवं वक्कंतीभेदेणं सव्वेसु उववाएयव्वा जाव 12 शतके उद्देशक:९ देवभेदा|धिकारः। सूत्रम् 461 देवानां भव्यद्रव्यदेवादिपञ्चभेदतत्स्वरूपप्रश्नाः / सूत्रम् 462 भव्यद्रव्यदेवनरदेवधर्मदेवदेवाधिदेवभावदेवानामागतिप्रश्नाः / // 972 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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