________________ [2] निक्षेपः। श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 397 // सूत्रम् 570 // से किंतं लोगुत्तरिए?, 2 तिविहे पण्णूते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए य / / सूत्रम् 571 // से किंतं सचित्ते?, 2 सीसाणं सिस्सिणियाणं आये। सेतं सचित्ते // सूत्रम् 572 // से किं तं अचित्ते?,२ पड्रिग्गहाणं वूत्थाणं कंबलाणं पायपुंछणाणं आए। से तं अचित्ते // सूत्रम् 573 // से किंतं मीसए?, 2 सिसाणं सिस्सिणियाणं सभंडोवकरणाणं आये, सेतं मीसए।सेतं लोगुत्तरिए। सेतं जाणयसरीर भवियसरीरवइरित्ते दव्वाए, सेतं नोआगमओ दव्वाए। सेतं दव्वाए।सूत्रम् 574 // से किंतं भावाए?, 2 दुविहे पं०, तं०- आगमतो य नोआगमतो य ।सूत्रम् 575 // से किंतं आगमतो भावाए?,२ जाणए उवउत्ते, सेतं आगमतो भावाए।सूत्रम् 576 // से किंतं नोआगमतो भावाए?, 2 दुविहे पं०, तं०- पसत्थे यं अपसत्थे य / / सूत्रम् 577 // से किंतं पसत्थे?, २तिविहे पं० तं०- णाणाए दंसणाए चरित्ताए, से तंपसूत्थे। सूत्रम् 578 / / से किंतं अपसत्थे?,२ चउव्विहे पं०- तं०-कोहाए माणाए मायाए लोभाए, सेतं अपसत्थे / सेतंणोआगमतो भावाए, सेतं भावाए।सेतं आये॥सूत्रम् 579 // / से किं तं आये, इत्यादि। आय: प्राप्तिाभ इत्यनर्थान्तरम् / अस्यापि नामादिभेदभिन्नस्य विचारः सूत्रसिद्ध एव, यावत्से किं तं अचित्ते?, 2 सुवण्णे त्यादि। लौकिकोऽचित्तस्य सुवर्णादेरायो मन्तव्यः। तत्र सुवर्णादीनि प्रतीतानि / सिल त्ति शिला मुक्ता शैल राजपट्टादीनाम्, रक्तरत्नानिपद्मरागरत्नानि, संतसावएजस्सत्ति, सद्विद्यमानम्, स्वापतेयं द्रव्यं तस्यायः, समाभरियाऽऽ ®स्स। ®स्सा। 0ग0 हा। सूत्रम् 558-579 2.1 ओघ, 2.2 नाम, २.३सूत्रालापक निष्पन्नभेदाः। 2.1 ओघनिष्पन्ने 'आय' पदस्य नामादि चतुर्निक्षेपाः। // 397 //