SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्ध:२ // 740 // नित्यत्व १मशरणत्वं 2 तथैकता ३ऽन्यत्वे 4/ अशुचित्वं 5 संसार: 6 कर्माश्रव 7 संवर 8 विधिश्च // 1 // निर्जरण 9 लोकविस्तर 10 धर्मस्वाख्याततत्त्वचिन्ता च 11 / बोधे: सुदुर्लभत्वं च 12 भावना द्वादश विशुद्धाः // 2 // इत्यादिका अनेकप्रकारा भावना भवन्तीति, इह पुनश्चारित्रे प्रकृतं- चरित्रभावनयेहाधिकार इति // 344 // नियुक्त्यनुगमानन्तरं सूत्रमुच्चारणीयम्, तच्चेदं तेणं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे यावि हुत्था, तंजहा- हत्थुत्तराइंचुए चइत्ता गब्भं वक्ते, हत्थुत्तराहिं गब्भाओगभंसाहरिए, हत्थुत्तराहिं जाए, हत्थुत्तराहिं सव्वओसव्वयाए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए हत्थुत्तराहिं कसिणे पडिपुन्ने अव्वाघाए निरावरणे अणंतं अणुत्तरे केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने, साइणा भगवं परिनिव्वुए।सूत्रम् 398 श्रुतस्कन्धः२ चूलिका-३ भावना, सूत्रम् 398-399 श्रीवीरवर्णनम् ___ समणे भगवं महावीरे इमाए ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए वीइक्वंताए सुसमाए समाए वीइक्वंताए सुसमदुस्समाए समाए वीइक्वंताए दूसमसुसमाए समाए बहु विइक्वंताए पन्नहत्तरीए वासेहिं मासेहि य अद्धनवमेहिं सेसेहिंजे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्सणं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं हत्थुत्तराहिंनक्खत्तेणंजोगमुवागएणं महाविजयसिद्धत्थपुप्फुत्तरवरपुंडरीयदिसासोवत्थियवद्धमाणाओ महाविमाणाओवीसंसागरोवमाइं आउयं पालइत्ता आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणंचुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे दाहिणडभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीहुब्भवभूएणं अप्पाणेणं कुच्छिंसि गम्भं वक्तंते॥१॥समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए यावि हुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ चुएमित्ति जाणइ चयमाणेन याणेइ, सुहुमेणं से काले पन्नत्ते॥२॥तओणं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपएणं देवेणं जीयमेयंतिकट्ठजे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्स णं आसोयबहुलस्स तेरसीपक्खेणं // 740 //
SR No.600431
Book TitleAcharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy