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________________ अम्बड चरित्रम् | RA सखिवर्गेण पल्यङ्क प्रातदृष्टा हि रासभी / श्रागत्य कथितं राज्ञः सा वार्ता सर्वतोऽजनि // 86 // श्रुत्वाऽसमञ्जसं राजा का कथा रे चुकोप सः। तत्र पश्यति चागत्य राजकन्यां च तादृशीम् // 87 // राजवर्गो मिलस्तत्र पितामाता च दुःखभृत् / क्रियमणे प्रतीकारे तस्या नाभूद गुणोऽल्पकः // 8 // भूभुजाऽकथयत्कोऽपि कुर्यात् पुत्रीं यथास्थिताम् / सन्मानपूर्वकं तस्य स्वर्णकोटि ददाम्यहम् // 6 // अनेन लोभवचसा ये ये कुयुः प्रतिक्रियाम् / ते ते हि वितथा याता न तस्याष्टङ्किकालगत् // 10 // सोमचन्द्रनृपो दध्यो पृच्छयते मन्त्रिपुत्रिका / यथेतत्कारणस्यैष मार्गकी सुतासखी // 11 // ततो वैरोचनेनैतां देवीं राजलसंज्ञकाम् / आकार्य पृष्टवान् राजा राजकन्याप्रतिक्रियाम् // 12 // श्रूयते त्वं महेशस्य सेवकी तत्प्रसादतः / उपचारं च जानासि राजपुत्र्यास्तदा कुरु // 13 // स्वागतं राजिका प्रोचे पटहो नृप ! वाद्यते / दीयते तस्य राज्यार्द्ध कन्या चन्द्रयशा पुनः // 14 // यः करोति यथारूपां लभते तां स एव हि / तस्या वचनमात्रेण पृथ्वीनाथस्तथाऽकरोत् // 15 // अम्बडो निजरूपेण पस्पर्श पटहं ततः / यथा रूपामिमां कुर्वे जल्पितं यदि दास्यथ // 16 // // 35 //
SR No.600425
Book TitleAmbad Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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