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________________ भ्रमंतो वर्तुलाकृत्या तदा श्रेष्ठ्यपि तत्र सः // मिलित्वा तं शनैः प्राप्य ग्रंथिं द्रुतं गतो गृहे // 19 // इत्यादि भूतकौतुकं बहुधा श्रूयते नृप // बालानां वालुकासमक्रीडेवात्रापि संमतम् // 1300 // भूतानां कौतुकं क्षिप्रचटिकारंधनादिकम् // नातः कावलिकाहारा भवंति देवयोनयः // 1 // ka राज्ञाथ सदयः पृष्टश्चतुर्थयामयामिकः // भोः पान्थ सत्वरं तेऽपि ब्रूहि वृत्तांत मेव तत् // 2 // वत्सेनोक्तमहं यावद् यामकीभूय संस्थितः // तावन्मृतक मुत्थाय जगाद मां प्रति प्रभो // 3 // किं करोषि कुमार त्वमत्रागत्य मया सह // द्यूतं रमस्व पाशादि मया प्रोक्तं न विद्यते // 4 // मुंच मामिति तेनोक्तं यथा तदा नयाम्यहम् // ज्वालनानंतरं मुक्तिर्मयोक्तं ते भविष्यति // 5 // तत्रस्थेनैव तेनाथ विस्तार्य स्वभुजं पुरात् // मुक्तं कुतश्चिदानीय स्वर्णपट्टादिकं पुरः // 6 // वेतालेन ततः प्रोक्तं साहसिक मया सह // द्यूतमत्र रमस्व त्वं शिरसी चावयोः पणे // 7 // द्यूतक्रीडा समारब्धा मया तत्कालमेव सः // हरसिद्धिप्रभावाच्च जितः खड्नेन घातितः // 8 // एवं च व्यंगदेहत्वान्मृतकात् स पृथग्गतः // तदैव तच्छवं भूमौ पतितं ज्वालितं मया // 9 // राजोवाचाथ भोवत्स कास्ति पट्टादिकं चतत् // कुमारेणापि तद् द्रुतं तस्मादानीय दर्शितम् // 10 // 15
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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