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________________ IISite II RIBEII A MEING THII AISI WIKIIT Isile बना यथा पतिपरित्यक्ता निनाय च दिनानि यत् / अस्त्यत्र चित्रफलके लिखितं निखिलं हि तत् // 13 // सर्वैराश्वास्यमानापि वियोगज्वरजर्जरा / नित्यमित्येव जल्पन्ती सा तिष्ठति दिवानिशम् // 14 // पटं छित्त्वां प्रनष्टोऽसि बने सुप्तां विधाय माम् / हृदयाद् यदि मे यासि तद् वेमि तव पौरुषम् // 15 // तव पुत्रे कलत्रे वा मित्रे वा ममता गता / स्थितो योगीव नीरागस्त्वं देव ! द्यूतदीक्षया . // 16 // अदृश्यीकरणं पूर्व देवकार्ये त्वया कृतम् / इदानीं ते तदस्त्येव कार्य किञ्चित पुनर्नहि // 17 // इत्थं नलव्यलीकेन तस्यास्तप्तमहर्निशम् / बभूव तुहिनप्पृष्टपङ्कजप्रमितं वपुः / // 18 // तथा पिता तथा माता तथा सर्वे सहोदराः / तदद्य निखिलं राज्यं देव्या दुःखेन दुःखितम् // 19 // .न तस्यास्तादृशं दुःखं पुरासीद् निर्जने वने / यथाद्य विवृतद्वारं बन्धुवर्गसमागमे // 20 // सारण्यकोपसर्गेभ्यः कथञ्चिदपि जीविता / तामद्य नु वियोगाग्निर्नादग्ध्वा विनिवर्त्तते // 21 // प्रियामनुसृतां साध्वी सलजां क्लेशहारिणीम् / इत्थं परिहरेत् कश्चित् किं ब्रूमः स पुनर्नलः // 22 // न तेन गणिता प्रीतिः पापशङ्का त्रपा कृपा / ऐश्वर्यबलमालम्ब्य सर्व चक्रे स केवलम् // 23 // राज्ञस्ततो वरं भिल्लाः पशवः पक्षिणोऽपि वा / साहचर्यमपि त्यक्तं येन साध्वीं प्रियां प्रति // 24 // अपहस्तितदिक्पालं यत् तस्मिन् प्रेम तादृशम् / वैदास्तस्य हि प्रेम्णा तेन भुक्तमिदं कृतम् // 25 // कथं भवतु साधर्म्य निम्बस्य च नलस्य च / विपाके मधुरो निम्बः कटुरेव पुनर्नलः // 26 // . II बना OTHI AII
SR No.600422
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyadevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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