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________________ 415ISIle का ISIAHI AII IIमाल भो भो भूपाल ! युक्तस्ते द्रोहः कुलपति प्रति / तस्करः कुलकन्याया येन पात्रीकृती भवान् // 31 // इयं शीलकुलोपेता रूपलक्षणसंयुता / न दीयते किमन्यस्मै यदि न त्वं वृतो भवेत् // 32 // प्रजिघाय कुलीनत्वादिमां कुलपतिस्त्वयि / दारत्यागमहापापं तत् किं कर्तुं त्वमर्हसि ? // 33 // नूनमैश्वर्यमत्तानाममी लक्ष्मीविकारजाः। भवन्त्येवंविधा भावा नितान्तमवशात्मनाम् // 34 // निगृह्य श्रुतिदृग्वाचस्ततो हरति चेतनाम् / समुद्रमथनोत्पन्ना लक्ष्मीविषसहोदरी // 35 // न पश्यति पुरःस्थं यद् विज्ञप्तं न शृणोति यत् / यद् न जल्पति लक्ष्मीवान् न च सरति संस्तुतम् // 36 // अथवा किं बहूक्तेन यत् सन्देशहरा वयम् / इयं कुलपतेर्वाचा मुक्ताऽसाभिर्नृप ! त्वयि // 37 // . इमां स्वीकुरु वामा वा सर्वत्रापि प्रभुभवान् / कृत्वा कुलपतेर्वाक्यममी प्रचलिता वयम् // 38 // इत्युत्थाय प्रयान्तं तमनुयान्ती शकुन्तलाम् / अवेक्ष्य रुदतीं दीनां गौतमी वाक्यमब्रवीत् // 39 // हा शाङ्गरव ! मा मैवं प्रतीक्षस्व ननु क्षणम / अनुगच्छति नौ दीना विलपन्ती शकुन्तला // 40 // इंदृक् निष्करुणे पत्यौ किं मे पुत्री करोतु वा / इत्युक्तः स वलद्रीवं क्रुद्धः शारिवोऽवदत् // 41 // ननु तिष्ठ प्रमत्ताऽसि भूयः किं हि तवाश्रमे ? / इत्थं दहति च प्रेम स्वच्छन्दमपरीक्षितुम् // 42 // यथा नृपस्त्वाह तथाऽसि चेत् त्वं ततः पितुर्नि:कलया त्वया किम् ? / निजं च जानामि शुचिव्रतं तत् पत्युहे दास्यमपि क्षमं ते * // 43 // BISHIAHI HI 4जाब
SR No.600422
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyadevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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