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________________ सूरचंद्र चरित्रं +%A5%EC // 2 // सुकृताम्भोजहंसीयहिंसैवातिनिर्मला / भवमोक्षजलक्षीरविवेकाय निषेव्यते // 3 // अर्थः-पुण्यरूपी कमलने (शोभावनारी) हंसीसरखी, अने अतिनिर्मल एवी आ अहिंसा एटले दयाज संसार अने मोक्षरूपी जल तथा धने जूदा करवा माटे मेवाय छे. // 3 // भूस्वर्गभोगसौरुयश्रीसोपानश्रेणिशालिनी / अहिंसा नाम निःश्रेणिनिःश्रेयसगमावधिः // 4 // अर्थः-पृथ्वी अने स्वर्गना भोगोनी सुखलक्ष्मीरूपी पगथीयांओनी श्रेणिथी शोभती, अने छेक मोक्षसुधी उपर चडावनारी है दयानामनी निःश्रेणी छे. // 4 // हिंसा निरन्तरं दुःखमहिंसा तु परं सुखम् / जन्तोदात्यहो सूरचन्द्रयोरिव तद्यथा // 5 // अर्थः-अहो! हिंसा हमेशा दुःखने, तथा अहिंसा परम सुखने सूर अने चन्द्रनी पेठे पाणीने आपेछे, तेओनुं उदाहरण नीचेमुजबछे.५ अस्ति रूपेण संपत्या सुकृतोपचयेन च / पुरन्दरपुराल्लब्धजयं जयपुरं पुरम् // 6 // ___ अर्थः-(लोकोनां) रूप, समृद्धि तथा पुण्यना समूहवढे करीने, इंद्रना नगरपासेथी पण जेणे जय मेळवेलो छे, एवं जयपुरनामर्नु नगर छे. // 6 // अभूद् भूपः श्रियां पात्रं तत्र शत्रुञ्जयाहयः / यद्यशाक्षीरधिरिदुर्यशःशैवलाभौ // 7 // ___अर्थः-ते नगरमां लक्ष्मीना भाजनरूप शत्रुजयनामनो राजा हतो, के जेनो यशरूपी महासागर वैरिओना अपयशरूपी शेवा| लथी शोभतो हतो. // 7 // PAGE- % 56 A - % %CESCR-. E5
SR No.600421
Book TitleSurchandra Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherHiralal Hansraj Pandit
Publication Year1935
Total Pages18
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size1 MB
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