________________ ॐ चरित्रम् // 13 // समित्रा संपदा केम थइ ? // 6 // अथ ज्ञानामृताम्भोधिर्दशनद्युतियोचिभिः / तत्पुण्यवेलाविपिनं प्लावयन्प्रभुरभ्यधात् // 6 // // 13 // अ०-त्यारे ज्ञानरूपी अमृतना महासागर सरखा ते केवली भगवान दांतोनी कांतिना मोजांओथी तेना पुण्यरूपी किनारापरना 6 बगीचाने सींचता थका बोल्या के, n 62 // कौशाम्ब्यां दत्तनामाभून्मातृभक्तो धनी वणिक् / सुमित्राख्या जनन्यस्य दयिताच जयाह्वया // 33 // अ०-कौशांबीनगरीमा दत्तनामे (एक) मातानी भक्ति करनारो धनवान् वणिक हतो, तेने मुमित्रानामनी माता, तथा जया४/ नामनी स्त्री हती. // 63 // दानमेव गृहस्थानां मुख्यो धर्म इति स्फुटम् / स्वगुरोर्वाचमाचख्यो सुमित्रा सूनवेऽन्यदा // 64 // अ०-दानज गृहस्थोनो प्रगट रीते मुख्य धर्म छे, एम पोताना गुरुनी वाणी सुमित्राए एक दिवसे (पोताना) पुत्रने कही. // 64 // दानोन्मुखं मनो मातुर्मत्वा मतिमतां वरः / आनन्दाजननीं नत्वा सभायः स व्यजिज्ञपत् // 65 // अ०-माताना मनने दानमाटे उत्सुक जाणीने ते उत्तम बुद्धिवान दत्तवणि के स्त्री सहित आनंदथी माताने का के, // 65 // यथाविधि सुपात्रेषु कृपापात्रेष्वपि स्वयम् / देहि त्वं हि धनं धान्यं त्वत्प्रसादाद् गृहे बह // 66 // अ०, सुपात्रोने तथा दया करवालायक मनुष्योने पण विधिपूर्वक तमो पोते धन धान्य आपो ? केमके तमारी कृपाथी (आपणा) UARCREAL 31