________________ भी जयन्तीप्रकरणइतिः / // 8 // AIRAGAR-557 // 158 // पडिवजिऊण एवं सगिहं पत्तेणं वीरभद्देण / विनतो नियजणओ विणएणं पंजलिउडेणं // 159 // ताय ! तए अनेकखमियवं रायसुयंऽणंगसुंदरिं दद / समवेसो भगिणीए जमहं पत्तोऽम्हि निवगेहं // 160|| निच्चं चिय गंतवं ताय तयम्भत्थ- कलारंजिणाणुरोहेण / तम्हा तुम्हाऽणुना इत्थ पयत्थे हवउ अम्ह / / 161 // तो भणइ संखसेठी सोम ! तुम सव्वयावि पुनकलो / ताऽनङ्ग तह कुणसु पायपसरं अखंडवित्तो जहा होसि // 162 // अह भणइ वीरभद्दो जणयं प्पणयप्पहाणवयणेहिं / जं आगमिस्स- सुन्दर्याः भद्दो पुत्वभवोवज्जियसुहेहिं // 163 / / ताय ! तुह संखधवले भवणे जहा होह दिवबन्नेहिं / सयलजणचित्तहरणं विचं तहऽहं | कुमारीत्वजइस्सामि // 164 // ता बीयदिणे कचंतेउरपत्तेण तेण वेसेण | अब्भसन्ती दिट्ठा चित्तकलं तेण सा हिट्ठा // 165 / / विषया सागयवयणाणंदियमणेण दिनासणोवविद्वेण / तोऽणेण वीरमरणा विस्संभेणं इमं वृत्तं // 166 // जा चित्तवट्टियाए हंसी पृच्छा कृता लिहिया तए सचित्ताए / सा नो विरहावत्थाऽहिणयं सम्मं धरइ देवि! // 167 / / अह सा कुमरी अप्पइ हत्थे तं चित्तवट्टियं वीरभद्रेण / तीए। पत्थुयवस्थाहिणयं वयंसि! हसिं पयंसेसु // 168 // बाहजललियनयणं दरनिवडिरपउमनालवयणं च / वीरमाईविय विलिहइ हंसि किसरुडिरपक्खं व // 169 // इय निच्चं अवरावरकलोवओगेण सोममुत्तिए / कुमरीनेहो सलिलनिहि व 18 बडए अहियं // 170 // वीरमई अन्नदिणे कुमरिं पुच्छइ वियड्वयणेहि / हुति गईओ दुच्चिय उत्तमजीवाण मणुयत्ते // 171 / लणं अच्चन्भूयरुवारोग्गाइयाण सामगि / तारुन्ने तवचरण करिज भोगोवभोग वा // 172 // तदुभयविरहेण पुणो दिवसा जे जंति निष्फला देवि ! / ते नानीराई इव पच्चागच्छंति न कयावि // 173 / / ता कहह किमिह ? कारणमहलाणि दिनानि जेण वच्चंति / जमिह कलाकुसलाणं अनिमित्ता होइ न पवित्ती // 174 // नेहपरवसहियया रायसुयाण- // 8 //