________________ // 19 // वन्दनार्थ प्रद्योतमृगावत्युदयनादय आगताः। CHOCOCCASIOGRECRUIC कुंकुमचंदणकरेहिं // 243 // चउदिसीडझंतागुरुधूवघडीउच्छलन्तधूमेहि / सवं अवलेवंजणमिव हरियं निवइनयणाणं // 244 // चंदणपल्लववंदणमाला सोहिंति पोलिदारेसुं। इंतसिरिकंठसंठियमरगयमणिकंठियाउ व // 245 // जिणनाहोवरि रत्तसोयं ददृण घणमहाभोगं / धरइ असोओ लोओ अइअणुरागं जिणस्सुवरिं // 246 // रइयम्मि समोसरणे भवभीयजणाण अभयसरणमि / तित्थयरचसिरीए विलासभवणमि रमणीए / / 247 // पुबद्दारेण जिणो सिरिवीरो देवकोडीपरियरिओ। पविसेऊण सिंहासणे निसीयइ तओ तिदिसं // 248 // जिणवरपडिविम्बाई देवा श्ययंति सरिसरूबाई / तित्थयरनामपुन्नप्पभावओ हुंति ताईपि // 249 // तत्तो पज्जोयनिवो मियावई उदयणो सपरिवारो। जिणपायवंदणत्थं उपसंता इंति भत्तीए / / 250 // तिपयाहिणीकरेउं वंदित्ता जिणवरं महावीरं / सुस्साए जहारिहट्ठाणाऽऽसीणेसु भवसु / / 251 // तो तावहरणीए पुलयंकरकारिणीए सरसाए / अमियरससारणीए निद्धीकयखित्तधरणीए // 252 / / घणगजियगहिराए विदरमहिचारिणीए वाणीए / सच्चं चिय धम्मकहा रयणसलाय व विच्छुरिया // 253 // संसारम्मि अपारे पारावारे दुहोहजलभारे / दुल्लहं खलु मणुयत्तं बताणं दुरुत्तारे // 254 // पत्ते विय मणुयत्ते आरियखित्तंपि दुल्लहं जत्थ / धम्माधम्माईणं विवेयरयणस्स उप्पत्ति // 255 // तम्मि य उवलद्धे पुण सुकुलं न लहंति कम्मपरितंता। उक्खित्तं च किल भरं वहति धवल व सुकुलीणा // 256 // बहुपुनपावणिजा सुवनजाईवि तम्मिवि जियाण / भुवणब्भहियं जीए सौरभ बिति मइमंता // 257 // अवि तीए लद्धाए अरूवया अणरिहा गुणोहाणं / सिद्धच्चिय जं लोए अरूवयत्तेण नमणिजा // 258 // अवि रूवंमि अरोगो जीवो सुहभावकारणं होइ / बाहिजए सरोगो उक्कलियाहिं जहा पउमो // 259 / / अरोगे च्चिय पुनं आउं कल्लाणकारणं E5% CRECR5 // 19 // %