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________________ 17 // ACARRC-SCRECORE%ACCES विजो सामिय ! ऊसीसए सप्पो ॥२१०॥ता उजेणी दिढइट्टयाहिं पायारमाइकरणेण / सुत्थं करेह सम्म जेणऽम्हं निव्वुई होइ मोहिचण्ड॥ 211 // ता चउदस रायाणो सबला सेणीए ठाविया तेण / अगई गंतुमणो रहभोगमणोरहसयाई व // 212 // हत्थाहत्थ- | प्रद्योतेन परंपरपओगओ आणियाहिं इट्टाहिं / कारवियो पायारो उज्जुपजोयराएण // 213 // निप्पन्ने पायारे सरणागयवञ्जपंज- सजीकृतारायारे / परपुरिसाए अलंघे महासईणं व हिययंमि // 214 // इन्धणधणकणचोप्पडकप्पडमाईहिं पूरिए अंतो। तत्तो मिगा- |यां कौशावईए मणोहरे व अइगुरुए // 215 // सह इंदियपसरेण रोहं पोलीण तो दिदं काउं। चिट्टा एसा देवी चारित्तग्गहणस- म्यां द्वाद्धाए / 216 // निजिणियमोहजोहा मुक्कविरोहा विसप्पिगुणसोहा / ओहामियनरनाहा देवी चिंतइ इइ सलाहा // 217 // // राणि पिधन्नो सो चिय देसो विहरइ सिरिवीरजिणवरो जत्थ / अवहरियदुरियतिमिरो मिहिरो इव सुहकरोल्लासो // 218 / / कोसंबीए Iधाय मृगाकयाई बोहितो भवियकमलसंडाई / आसुल्लाससमुजयपाएहिं पवित्तयं काही / / 219 // दोसाविसारणेणं जस्सागमणेण होइ |वत्या दीअच्छरियं / सवाण कोसियाणं सम्मदिट्ठीण आणंदो // 220 / / अरुणकरपल्लवम्मि य समोसढे जम्मि तावपडिवक्खे / दार्थ भगवसुमणोवियासरम्मो सच्चमसोउ वहइ लोए // 221 // जयचक्खुम्मि जिणिन्दे समागए दलियमोहनिइंमि / गम्मागम्म- दागमनसविवेगो कामंमि निसायरे नढे // 222 // दूरीहवन्ति सहसा कामग्गहविसमविसहरप्पसरा / भुवणपहायर-| | रणे कृते जिणवरफुरियमहामंडले दिवे // 223 // किं बहुणा? जिणनाहे समागमे मज्झ पूरिउम्माहे / पडिवजिस्सं दिक्खं प्रमोरागसिक्खमवस्सं गहिस्सामि // 224 / / चिन्तन्तीए तीए मिगावईए वियंभिओ पवणो। सुरही सीयलमउओ दिवो निव्वुइकरों मनम् / झत्ति // 225 / / तेण य नच्चिरविहसिरमणमुहनयणुप्पलाए देवीए / पुलओ अंगे पउमिणिनालयकंटयसिरि पत्तो // 226 // // 17 // gosto
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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