________________ // 281 // मातृप्रसाद नाय गृहीता दी आर्य| रक्षितेन। ACO5AE%EOSECORDCHOCK पढिओसि वच्छ ! जेहिं जीववहे होइ परिणामो // 9 // विजाहाणाई जओ द्वाणाई चेव पावबल्लीणं। छागाइजागसोणियसित्ताणं नरयफलयाणं // 10 // पढिऊण दिट्ठिवायं सिवसुहलच्छीए संगमोवायं / सुगुरूणन्ते सम्म किमागओ ? जेण | तुस्सामि // 11 // विणयपुण्णउत्तमंगो सो जम्पइ माइ दिठिवायपि / अचिरेणावि पढिस्तं कत्थ पुणो तस्स उवलम्भो ? // 12 // जणणीवि भणइ रक्खिय तुहुच्छुवाडम्मि सन्ति जे गुरूणो / तोसलिपुत्तायरिया तयन्तिए लब्भए एसो॥ 13 // एवं जणणीभणिए रयणीए अजरक्खिओ उहु / चिन्तइ नामंपि अहो रमणीयं दिद्विवाओत्ति // 14 // एसो अचिरेणं चिय पढियवो उज्जमेण गुरूणा। जणणी तोसेयवा किमन्नलोएण तुद्वेण ? // 15 // इच्चाए चिन्ताए सिग्धं रयणीवि तस्स अइक्वन्ता / अरूणोदयम्मि गच्छइ गेहाओ उच्छवाडम्मि // 16 // गिहनिग्गयमित्तस्सवि समीवगामाओ दंसणनिमित्तं / मित्तो मिलिओ पुच्छह किमंगं तं रक्खिओसि ति? // 17 // आमंति तेण भणिए अप्पइ मित्तोवि उच्छुलट्ठीओ। नव सड्ढाओ तुट्ठो गहिऊणं रक्खिओ झत्ति // 18 // पडियप्पह भणइ गिहे जणणीए अप्पिऊण कहियत्वं / पढम चिय माइ मए हिद्वेणं रक्खिओ दिट्ठो // 19 // सयमवि चिन्तइ एसो नवअज्झयणाणि दिट्ठिवायस्स / दसमद्धं सिग्धं चिय निविग्धं चेव पढियवं // 20 // एवं विचिन्तयन्तो तुरियं चिय उच्छवाडयं पत्तो। परिभावह साहूणं वन्दणविहिजाणगं कमवि // 21 // एत्थन्तरमि ढढरसड्डो साहूण वन्दणविहिन्नू / पुनपरिणामपगरिसवसेण तत्थागओ झत्ति // 22 // तम्मग्गमणुसरन्तो धणओ इव विहियउत्तरासंगो। निस्सीहियाए पुवं वसहीए रक्खिओ विसइ / / 23 // तो तोसलिपुत्ताणं गुरूण दिट्ठीए अमयवोट्ठीए / सो आगमेसिभद्दो पुलयंकुरुराइरूइरंगो // 24 // ढङ्करसद्दणुसारी दक्खो विहिणा पडिक्कमइ ईरियं / वन्दियगुरुपयकमलो वन्दइ साहूण पयपउमे // 25 // // 28 //