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________________ भव्यरहित लोक इति हा प्रश्ने भगवतोक्तं समाधानम्। % A 4 श्री विरियं सुहलेसाणं अबुबकरणमि तयणु पविसित्ता / पत्ता खवगस्सेणि खविंति चउपायकम्ममलं // 31 // ते सुक्कझाण- जयन्ती तइयं मेयमपत्ता लहन्ति दिढसत्ता / सासयमप्पडिवायं तयणु लहुं केवलं नाणं // 32 // चिरकालं भवियाणं कमलाण प्रकरण- 18| बोहणिकदिणमणिणो / अप्पडिहयपहावा केवलिणो ते महामुणिणो // 33 // सुहुमकिरियानियट्टि झाणं झायन्ति सुक्कमह वृत्तिः / तइयं / आरोहन्ति उत्थं सुकं तो छिन्नकिरियति // 34 // तो बन्धन्ति न कम्मं नवं पुराणं खवन्ति निस्सेस / तो कम्म- बन्धमुका सिद्धिं गच्छन्ति समएणं // 35 / / एवं जयंति ! जीवा अणाइपरिणामभवभावेणं / नाणाइरयणलाहे चयन्ति // 268 संसारदालिदं // 36 // जे पुण अभब्वभावं निसग्गसिद्ध जयंति ते जीवा / अंगारमहउ इव भवगत्तासुयरा हुन्ति // 37 / / भव्वाभध्ववियारे सम्म कहियम्मि जिणवरिन्देण / पुच्छह पुणो जयन्ती भयवं सिवमामिणो भव्वा // 38 // ततश्च सूत्रअवसिद्धिया भंते! जइसिन्झिस्संति तो भवे लोओ। भवसिद्धिएहि रहिओ, न भवइ स जयंति! नायाओ॥६॥ व्याख्या-भवसिद्धिका भगवन् यदि सेत्स्यन्ति, ततो भवसिद्धिकैः रहित एव लोकर कदाचित् भविष्यति, भगवांच ग्राह-न भवति स जयंति ? ज्ञातात् // तथाहि-सूत्र सयलागासपएसा सेढिपरमाणुमित्तखंडेहिं / समए समए हीरइ अणतउस्सप्पिणीकालं // 7 // नो चेव अवहिया जह एवं भव्वावि नेव निट्ठन्ति / नवि सिज्झिहिंति तो भण किन्नु भव्वत्तणं ? // 8 // व्याख्या-सकलाकाशप्रदेशश्रेणी परमाणुमात्रखंडैः समये समये अपहियमाणापि अनन्तोत्सर्पिणीकालं यावत AJ नैवैषा अपहता भवति / एवं भव्या अपि सिध्यन्तोऽपि नैव निष्ठां यान्ति / केचिच भव्या अपि न सेत्स्यते एव / एवमपि 151544%95 % AE // 26 // %
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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