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________________ जयन्तीप्रकरणपृतिः / // 264 // मा ॐ विच्छायं होइ मुहं विज्झाणऽग्गिं धमन्तस्स // 85 // अहवा-जो जत्तियस्स अत्थस्स भायणं तस्स तत्तियं होइ / बुढेवि | पुण्डरीकदोणमेहे न डुंगरे पाणियं हाइ // 86 // तवतिवरसावजियवयाई कल्लाणकन्तिकलियाई / विसयाहिलासफुकामिनेणाणेण नृपेण तद्हरियाई // 87 / / अहवा सवे जीवा सकम्मफलभोइणो हुन्ति / सयमेवागयसंजमसिरिं वरिस्सामि अहमेयं // 88 // इय वेषं गृहीचिन्तऊण राया पुच्छइ तं कण्डरीयजुवरायं / किं भोगसमीहा ते ? तुसिणीए चिट्ठए सोवि // 89 // मउडाइअलंकारं स्वा स्वीसपि समप्पिऊण तस्स निवो / रयहरणाइयमुवहिं गिन्हइ सयमेव कयलोओ // 90 // गुरूकुलवासे नंदणवणम्मि सुमणो. कृता दीक्षा वियासरमणीए / होउ रूई मह निच्चं नाणाइफलोवलंभम्मि // 91 // भवगिम्हतावहरणे दक्खापाणोवमा दुविहसिक्खा / कण्डरीकश्च सुगुरूण पायमूले आसाइबा मए सवा // 92 // छजीवकायरक्खणसारे संजमभरम्मि धुरधवलो / गुणरासिसम्पउत्तो गणंमि क्रूरपरिणाहोक्खामि मुणिवसहो // 93 // संवेगभावियप्पा गुरूमूले पुंडरीयरायरिसी। अचिरेणं संपत्तो इच्चाइमणोरहारूढो // 94 // | मेन सप्तमी मउडाइअलंकरणो इयरो पुण कण्डरीयनरनाहो / अत्थाणम्मि न सोहइ नेहविहीणो जह पईवो // 95 // न नमिजइ साणंद नरकं भट्ठपइनोति रायलोएण / कोवपिसायग्घत्थो परिभावह रूदज्झाणत्थो // 96 / / एएसि निवाईण मज्झ पणामे अणुज्जमन्ताणं / गतः। संहारेण करिस्सं अन्ननरिन्दाइजणसंगं // 97 // एवं भीमो होउं एसो संकन्तकिन्हलेसोवि / विच्छाओ अरइच्छाओ मुश्चइ अस्थाणमह भुत्तुं // 99 // अइमेतं आहारं गिन्हइ अइसरसमऽप्यजस्ठग्गी / तवचरणखीणदेहो गिद्धो च्चिय भवमसाणम्मि | // 100 // पढमिल्लकसाएणं उम्मीलियमोहणिजेण / पढमगुणट्ठाणेणं परूढपावदुम्मालोओ // 101 / / अइदारूणदाहेणं | डज्झन्ते आउतरुवरे सिग्धं / अइकूरपरिणामो बन्धइ नरयाउयं दीहं // 102 // मरिऊण कण्डरिओ अपयट्ठाणम्मि नरयवा- 8
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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