________________ जयन्ती प्रकरणवृतिः / पुण्डरिकनृपाज्ञामस्वीकृत्य कण्डरीकेन गृहिता दीक्षा / ICICSIR GARH // 18 // ता रना पडिवुत्तं जुत्तं तुह वच्छ जुवणारम्भे / रजं चिय मज्झ पुणो पवजा परिणयवयस्स // 19 // परिपालिऊण रजं तुमंपि पच्छिमवयम्मि पञ्बजं / गिण्हन्तो समयन्नू पसंसणिज्जो जए होसु // 20 / / जुबणवयंमि गहणे होइ कहवि जइ मोहो / भवियवं संसारे तो कन्तारे दुरूत्तारे // 21 // ता वच्छ मह इयाणि उत्तिमपुरिसत्थसाहणसहाओ / पडिवजसु वयणमिणं होसु इह तं महाराओ // 22 // एवं पनविओवि हु जुवराया भणइ देव रायसिरी / परिणामदारूणेसा कह गिजउ ? जाणमाणेहिं // 23 // तारुन्नेवि अरने कह मोहो होइ ? सत्थवाहेसु / सुगुरूसुबल सुं सिवपुरपहपयडनाणेसु // 24 // संसारभओबिग्गा जे जीवा हुन्ति सुगुरूपयलग्गा / तेसिं चायपरिणामे वयपरिणामो कई नेव ? // 25 // ता ताय सबहाहं मोहमहारायमाणनिद्दलणो। चउरंगवलसहाओ सिग्घ चिय होमि मुणिराओ // 26 // रायावि पुण्डरीओ जुबरायविणिच्छयं मुणेऊण / कारावइ अइगरूयं निक्खमणमहूसवं तस्स // 27 // पडिवनचरणभारं जुवरायं कण्डरीयमुणिवसह। रोमश्चश्चियगतो भणइ निवो वग्गुबग्गूहि // 28 // सिवपुरपहम्मि पत्थिय जयसि तुमं धीर धवलगुणगाम / सुगहियनाम सुगई अक्खलियचरणेण तं लहसु // 29 / / पाएसु चिय लीणो होऊण गुरुण रोहणगिरीण | नाणाइरयणरासिं लहसु रयं दूरमवणिन्तो // 30 // जइयत्वं समिईसुं तुमए जत्तेण सुदिढसत्तेण / निजिणियमोहराओ जेण जए होइ जसवाओ // 31 // उबवूहिऊण एवं नयरं पच्चागओ ही राया / सुगुरूहि सह विहरइ रायरिसी कण्डरीओ य // 32 // मूलगुणेहिं पसरइ खमाणुबंधेण संवरेणेसो / सुयखन्धाभोगेणं उत्तरगुणसाहुसाहाहिं // 33 / / दसविहसमायारीसुपत्तपरिवारपत्तसच्छाउ / जसपसरकुसुमगुच्छो लहइ रिसी कप्पत्तरुसोहं // 34 // कालेणं गीयत्थो सुत्तत्थसमुदपारगो जाओ / सुगुरूहि समं कमसो विहरन्तो एइ नयरीए // 35 // // 260 // | // 26 //