SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ // 253 // 951 द झाणेणं / सिवसुहनिहिलिच्छाए घिद्धी विग्यो इमो जाओ // 57 // एक मज्झ कलंको, अन्न जिणवयणतेयपरिहाणी। संसारसारफलए बेहू पडिया महं ही ही // 58 // किं मज्झ जीविएणं ? रूबाइगुणेहिं संपयाए वा / जिणसासणप्पहावो जाव न सुद्धो महसहावो // 59 // इय भावियपरमत्था गीयत्था साविया सुभद्दा सा / हाया कयवलिकम्मा विहिणा जिण. रायकयपूया // 60 // जइ जिणसासणदेवी जिणिन्दधम्मस्स करेइ उज्जोयं / पारियकाउस्सग्गा तोऽहं भत्तं करेस्सामि // 61 // अमह काउस्सग्गे धम्मज्झाणेण संडिया चेव / परिचत्तभत्तपाणा हाइस्सं जाव जीविस्सं / / 62 // इय काऊण पइन्नं जिणपडिमापायअग्गओ होउं / काउस्सग्गेण छिया तल्लेसा धम्मज्झाणेण // 63 // अह तीए सीलेणं, अक्खित्ता चलिरकुण्डलाभरणा / रयणीए जिणसासणदेवी सिग्धं हवइ पयडा // 64 // भणइ य कीस सुभद्दे सुसाविए एसऽभिग्गहो गहिओ। तुमए साहसरसिए साह सुभद्दे ! मह इयाणिं // 65 // पारियकाउस्सग्गा भणइ सुभद्दावि महुरवाणीए / जिणवयणपहापसरो किजउ सूरो व तिमिरहरो // 66 // सासणदेवी जम्पइ नयरीए सुयणु ! अन्ज चम्पाए / चिट्ठिस्सन्ति पहाए पिहियाई पोलिदाराई // 67 // तो आउलम्मि लोए सनिवे गयणंगणमि उग्घोसो। होही महासईए चालणिघरिएण सलिलेण // 68 // सिचाई तिन्नि वारं एयाई अति उग्धडिस्सन्ति / मुत्तुं तुमं तु नन्ना धारिस्सइ चालिणीसलिलं // 69 // परमेट्ठिनमोकारं किच्चा सित्तेसु तेण सलिलेण / उग्घाडिएसु तुमए दारेसु पभावणा होही // 70 // साहम्मियवच्छल्ले समुजया सीलरंजिया एवं / सासणदेवी भणिउं जहागयं पडिगया झत्ति // 71 // तो साविया सुभद्दा सुहारसेणेव सित्तसबंगा। सज्झायज्झाणपरा अइ. वाहइ रयणिसेसंपि // 72 // अरूणोदयस्मि लोए सुत्तविउ«म्मि पोलिदाराई। अवि उग्घाडणजत्ते पिण्डियाई चेव चिट्ठन्ति 21 कायोत्स र्गस्था सुभद्रोपरि तुष्टया शासनदेव्या शासनप्रभावनोपायः सूचितः। * * *
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy