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________________ - श्री स्थाने जयन्तीप्रकरणबृत्तिः / // 246 // ओऽसि / ता अहुणा कीस ? तुमं मुश्चसि मह एकयं वालं // 37 // जह फरह जए तिमिरं दिणमणिविरहे चउद्दिसिमिन्ति / अनशनतह तुज्झ विणा संपइ रिउसिविरं किं न पसरेइ ? // 38 // ता ताय मन्तिसत्तम खमसु तुम मज्झ एक्कमवराह / आइवराई तं चिय खमाहरं विति मन्तिवरा // 39 // ता एहि पुरं पाडलिपुत्तं चिरकालपालियं जेण / पुणरवि तिवग्गसाहणपरो जणो सुबन्धुना होइ एकमणो // 40 // चाणको समयन्नू पसन्नचित्तो भणइ निवहुत्तं / मा कुणसु तुमं खेयं सपुनसम्पन्नरजसिरी // 40 // तप्रज्वालितः पुबकयसुकयतरूवरफलाणमिह भायणं जणो होइ / परमत्थो एत्य फुडं निमित्तमत्तं परो होइ / / 41 // ता जइ सुमरसि कारिषासच्चं मज्झोक्यारं कयन्नुओ होउं / परलोयसाहणे मह हवसु सहाओ महाराय ! // 42 // खामियसबजणोहं एकमणोऽहं ऽग्निः तेन पवनसनासो / अहिलसियसग्गवासो तिविहेणं चत्तघरवासो // 43 // चाणेकेण य भणिए वयणे एवंमि बिन्दुसारनिवो / चाणक्यखामित्ता पूइत्ता पुरम्मि जा होइ गन्तुमणो // 44 // भणइ सुबन्धुमन्ती ताव इमं देव मंतिरायस्स | चाणक्कस्स करिस्सं देहे दाहः। महसवं तुम्ह आणाए / // 45 // भवियवयावसेणं रन्ना नो लक्खियं मणो तस्स / दिनाएसो तो सो करह सतोसो महापूयं // 46 // पूइत्ता पच्छन्नं धूर्व उग्गहिऊण अइबहुयं / अंगारो निक्खित्तो करीसमज्झम्मि पावेण / / 47 // कारीसग्गिपलिवियदेहो चाणक्कमन्तिवरसड्डो / भावइ भावणमेसो अइसइसंवेगरसरसिओ / / 48 // देहमि डज्झमाणे नहु दाहो होइ तुज्य इह कोवि / अन्नं इमं सरीरं जीवाओ जैन मुत्तो सो // 49 // सयमवि कयकइयाणं फलोवभोगेण होइ निजरणं / एवं जिणवरवयणं तं भावय जीव ! पुणरूत्तं // 50 // अच्छरियं पुरिए महहियए उदयायलंमि जिणधम्मे / दिणमणिबिंबसगोत्ने गिहमोहो जीव तिमिरोहो // 51 // धना तेच्चिय जीवा बालकुमारा हवन्ति अणगारा। जे सुद्धबंभचेरा दुरून्द्रियसब- Ph246 // CARRUKARNALISANECDRAS RECAUSINESS
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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