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________________ // 219 // मुत्तसिरी // 89 // ता मह कुणसु पसायं लोहपिसायं हणेमि जेण लहुं / जस्सवसा तुम्हाणवि मए वियत्रो महाखेओ // 90 // अन्ये ते धनच्चिय जीवा जेसिं तुम्हाण दंसणे होइ / पढम चिय पयभत्ती सारयससिकुन्दसुन्देरा // 91 // जइवाऽहं चिय धन्नो करूणारामाण तुम्ह पायाण / छायाए संलीणो भवतवसन्तावसंतत्तो // 92 // तो धम्मुवएसेणं सीयलसलिलेण सिञ्चसु 18 वरोपदेशेन इयाणि / सयलमलतावहरणे जेण लहुं निव्वुई होइ // 93 / / एवं खमाविऊण कयंजली नरवरो मुणिन्दस्स / धरणिय सर्वविरलंमि पुरओ आसीणो धम्मसवणत्थं // 94 // धम्मरूई अणगारो तत्तो गंभीरमहुरवाणीए / किल अमियसारणीए | त्यादिवित्थारइ धम्ममारामं / / 95 // भो भो भवंमि भीमे रन्ने भमिराण जोणिलक्खेसु / जीवाणं दुल्लहं चिय सुखित्तसुकुलाइ. धर्ममणुयत्तं // 96 // दसदिद्वन्तुवलद्धं जिणधम्माराहणेण तं सहलं / सुगुरूवएसवसओ कायचं होह मणुयत्तं // 97 // पडि प्राप्ताः। वजह सम्मत्तं संकाकंखाइदोसपरिचत्तं / परमत्थरयणभूयं भवदोगचं हरह जमिह // 98 // परिवजह मिच्छत्तं विसं व परिणामदारूणं भवा / तरलियचित्ता जेणं ममन्ति संसारकंतारे // 99 // सो देवो झायवो अइसयरयणरोहणगिरिन्दो / अट्ठारस दोसेहिं रहिओ सयमेव जो बुद्धो॥१०॥ वित्तसुयसिंधुपारा भवियणकमलाण दिणयरागारा। अप्पडिबद्धविहारा निरूद्धचवलिन्दियवियारा // 1.1 // पंचमहत्वयधारा अहोनिसं धम्मदाणवावारा। जिणसासणलंकारा भवाण वियन्ननित्थारा // 102 // अणवस्यमप्पमत्ता छजीवनिकायरक्खणोज्जुत्ता / पडिवजह सुहगुरूणो दुल्लहा जह कप्पवरतरूणो // 103 // सदहह जिणवरोचं तत्तं जीवाइयं अइपवितं / भवजलहिजाणवत्तं जीवाभयदाणवरसत्तं // 104 // कम्मगिरिदलणवज सई जोगं चइत्तु सावजं / गिण्हह भो पवजं लहह लहुं सिवपुरीरजं // 105 // अह परिहरिय प्पमाए पइ // 219 // 545516
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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