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________________ | जयन्ती -| प्रकरणपतिः / तेजोलेश्य| या दग्धो नन्दजीवो | गृहकोकिलो जातः। // 214 // महरक्खरवाणीए मुणिणा सम्बोहणत्थमह वुत्तं / तुम्हं धम्मो होही अम्हं उवयारकरणेण // 7 // इहलोयपडिबद्धो गिद्धो अत्थंमि भणह तो नन्दो / अत्थेणं मह कजं अच्छउ तुम्हऽन्तिए धम्मो // 8 // दिजइ अविञ्जमाण नहु मुलं मग्गिराणवि जणाण / बालुयकणाण तिल्लं न हवा अइपीलणेणावि // 9 // इय मुणिणा संलचे छित्तो कोवानलेण सो तत्तो / मुश्चइ दुव्वयणमाला दुस्सहा जाला दहन्तीओ // 10 // रविकिरणकलावेणं तत्वे पुलिणम्मि गिम्हमज्झन्हे / तण्हाछुहाकीलन्तो अवरुद्धो सो मुणी तेण // 11 // पीउससगोत्तेहिं वयणेहिं बोहिओवि सो नन्दो / उग्गिरह विसं कडुयं उरगो जह दुट्ठपाणेण // 12 // सत्थम्मि अइक्वन्ते नावियनन्देण तेण पावेण / अइदुम्मिओ मुणिन्दो दुरूत्तपुणरूत्तवयणेहिं // 13 // सिवपुरपहपत्थाणे दुवयणकंडेहि पडिपयं विद्धो / धम्मरूई अणगारो उवसमसारोवि सो कुद्धो // 14 // चिन्तइ दुम्मइवल्लीकन्दो एसो खु नाविओ नन्दो / जो परमकिन्हलेसो धम्मुवएसो कहं तंमि // 15 // अस्सत्थोवि अबोही निकरूणो कडुयकन्दलपरोहो / एसो रूक्खारामो दुबाउल्लासिकोवदवो // 16 // छणियं घयमवि कडुयं विरसं दुद्धपि होइ अइतत्तं / उग्गिरह कालकूडं अइसयनिम्मस्थिओ जलही // 17 // जह तह एसो साहू नावियनन्देण ताविओ बहुहा / दोसुल्लासदुरंतं तेओलेसं मुयह तस्स // 18 // तीए सो डझन्तो अट्टज्झाणेण पत्तपश्चत्तो / गामे देसकुडीए जाओ घरकोइलो सन्नी // 19 // धम्मरूईवि मुणिन्दो उवसमजलएण समियकोवदवो / संवेगसमावन्नो पच्छायावेण संपन्नो // 20 // आलोइय पडिकन्तो सन्तो दन्तो जियन्दिओ धीरो। बिहिणा विहारनिरओ प्रहवीए जंगमं तित्थं // 21 // भवियवयावसेणं विहरन्ती एइ तम्मि गामम्मि / जत्थ सहाए नावियनन्दो घरकोइलो जाओ॥२२॥ भिक्खायरियं काउं देसकुडीए समागओ जाव / गमणागमणालोयणपुरस्सरं कुणइ सज्झायं // 23 // किरियाकलावपुवं 435LARIOCIROMCG * 214 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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