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________________ +A चित्रकर पुत्रवृत्तान्तकथनम्। SAROICE साकेयपुरं कमेण अलयाउरीरम्मं // 52 // तत्थथि एगपुत्ता थेरी तीए घरम्मि चिट्ठेइ / पेक्खंतो सिक्खंतो कोउयविनाणलक्खाई / / 53 / / पुत्वोत्तरदिसिभाए तत्थ य एगो सुरप्पिओ जक्खो / संनिहियपाडिहेरोत्ति निग्गहाणुग्गहक्खणिओ // 54 // पइवरिसं चित्तेउं कीरइ गरुओ महूसवो तस्स / सो चित्तयरं मारेइ, अचित्तिओ देसमवि रुहो // 55 // रना पुण चित्तयरा पंचत्तवाहिएण नस्संता। अवरुद्धा पडिबद्धामिहाणया गोलजुत्तिए // 56 / / जस्स य नामं दीसइ, गोलंमि | विहाडियम्मि वरिसन्ते / सो चित्तयरो चित्तेइ, एवं कालम्मि वच्चन्ते // 57 // तम्मि य वरिसे थेरी, सुयवारयआगमेण दुक्खत्ता। अनलेण व दझंती अइकरुणं रुयइ विलवन्ती // 57 (अ) // जह गिम्हेण तत्ते, जए जवासाण अंकुरुल्लासो / तत्ते दुहेहिं लोए, तह पुलओ दिव! तुह अंगे / / 58 // चिन्तानलेण तत्तं, हद्धी पीडेइ लोहमिव लोयं / छट्ठारो इव दइयो, आवइ. घणघायघडणेहिं / / 59 // आसातरुस्स मह, पुत्तयस्स जत्तेण पालियस्सेह / तं सहसा निकरुणो, पमंजणो दिव! उच्छलिओ॥ 60 // अबलाए थेरीए, दीणाए दुक्खलक्खसरियाए / हा हा कयन्त ! निग्घिण !, न लजसे कीस ? पहरंतो // 61 // निकारणकोवानलतचे हिययस्थलम्मि तुह दिन्छ !| अहवा कह संपजउ, सच्चं करुणुग्गमो निचं // 62 / / सोवि तुह हुञ्ज तंमिवि, सिञ्चन्ते कहवि बाहसलिलेहिं / इय आसाए नडिया, रुयामि कीणास ! दीणाऽहं // 63 / / इय विलवन्तीं थेरिं, पुच्छइ चित्तयरदारगो एवं / अम्मो ! कीस सकरुणं, रोइसि ? सोयानलालिद्धा // 64 // सिट्ठम्मि कारणम्मी, करुणादक्खिन्नपरवसमणेण / तोऽणेणं सा भणिया, जक्खं अहमेव चित्तिस्सं // 65 // तीए पुणोवि वुत्तं, किंतु तुम वच्छ ! मह न पुत्तोसि 1 / साहसरसिएणेवं, तयहुत्तं तेण तो वुत्तं // 66 // जइ भंगुरकाएणं, जणणीमित्ताण पाणर % // 7 // %
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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