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________________ PRAKASHANKE शतानीकनृपवर्णनम्। आसातीए पुरीए रजं निकटयं अणुहवन्तो / सहसाणीयमहानिवपुत्तो राया सयाणीओ // 21 // जस्सासिलया दीहीभूया जलपूरपुक्खराइना / जत्थ जयलच्छिकीलापयावमुल्लासए चोजं // 22 // जस्स य रणभूमीए, जलहरतलवारिधारसंपाए। सुहडाणं खेचेसुं, बहुसालिसिराई निवडंति // 23 // नयविक्कमखीरोयहिनिग्गयजसरायमंडलं जस्स / उल्लासं कमलाणं भुवणे उवणेइ चोअमिणं // 24 // उइंडपुंडरीयं दद्वं जस्स य चयन्ति दूरेण | अहियं अहियकुरंगा न विम्हउ एत्थ विबुहाण // 25 // जो दण्डमंडलजुओ पयावविद्दवियपरमहिमभावो। सूरोवि कोमलकरो रेहइ राया कलाकलिओ॥ 26 // भिन्नारिकुंभिकुंभयर्डगलियमुत्तालिविरइयचउक्का / जस्स गुरुसमरधरणी जयसिरिवीवाहवेहव / / 27 / पडिनिवइनिवहभयचवलचित्तदोलाए खेलइ सहेलं / पल्हत्थियथम्भाए आणा जस्सेह अच्छरियं // 28 // जस्स पयाणे गयणे अइसयघणरेणुपडलस्थलसंका / मिति सारहिं रहतुरया वेल्लणमणा रविणो / / 29 / / जस्स कढिणत्तरहिओ चोजं गुणकोडिसरलयासहिओ / अक्खित्तमग्गणगणो परलोयजयं कुणइ चाओ // 30 // ईसरजडाहिरामा, कित्ती जस्सेह सुरैसरिसरिच्छा / तिहुयणअलंघणिज्जा, सलाहणिजा सुराणंपि // 31 // तस्स य देवी इट्ठा, मियावई सीलपावियपइट्ठा / चेडयनरिंदधृया सोहग्गमहग्धवियरूवा // 32 // जमुणापवाहललिओ कण्होच्चिय जीए कुंतलकलावो / कस्स न हरेइ हिययं ? कुडिलोवि य जेण अइगरुओ // 33 // किं तीए वनिजइ ? जीए आएजवग्गुवयणाए / अलियंपि सच्चविजइ अणुरायपरायणजणेण // 34 // विन्भमरससरियासु, जीए दिट्ठीसु सरलतरलासुं। सोहंति भूलयाओ घणसेवलवल्लरीओ व // 35 // मयणस्स व धणुलट्ठीलट्ठाओ भूलया विरायति / जीए मोहणवाणो नासा. 1 शार्दूल / 2 तटगलित / 3 स्वर्गङ्गासदृशी 4 बाणः 3ROGRAAAAAAAAAEX R // 5 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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