________________ मात्रा पुत्रो मारितः | पुत्रवधूना +5% 15-153 स्वस्रा मारिता। // 153 // | कुद्धा सुयंमि जणणी सुन्हाकीरंतपयसोए // 62 // अणुमाणनायथावरमरणुप्पचेण मन्नुणाऽकन्ता / घेत्तूण असिं जणणी छिन्दइ मुणिचन्दसिरकमलं // 63 // दिढकंचिवंधणेणं तत्तो मुसलेण वजकढिएण / सुन्हाए पइमारणकुवियाए सम्पया हणिया / / 64 // पुट्ठा लोएणेसा सा गिहेगदेसंमि ट्ठिया इइ बन्धुमई / भाउज्जायं न हणसि ? कीस तुम जणणीघाएवि // 65 // भणियमणाए गुरुजणवियनपडिवन्नम्मि जाजीवं / पाणाइवायविरमणवयंमि लीणं मणो मज्झ // 66 // इइ संसियंमि नियमे बंधुमई सलहिया पुरजणेण / धन्नासि तुम मद्दे ! जीए करूणेक्कपरिणामो // 67 // गिहसबस्सं रन्ना गहियं सुन्हा य चारए खित्ता / एसो पाणाइवाओ पावट्ठाणं हवइ पढमं // 68 // तथा मृषावादपापस्थानं महाप्रमादः। मृषाभाषिणो हि प्राणिनः प्रतिकूलगामिनः सरित्प्रवाहाः इव नीच-नीचपदाअयिण एव भवन्ति, समूलमुन्मूलयन्ति विश्वासविटपिनं, न भवन्ति चाभिष्टविशिष्टफलोपभोगभाजः किश्च-मूका जडाश्च विकला वाग्धीना वागजुगुप्सिताः। पूतिगन्धमूर्खाश्चापि जायन्तेऽनृतभाषकाः॥१॥ इहलोकेऽप्यसत्यनाम फल्गुफलाज्वलम् / विलोक्यते यशोनाशो मानभ्रंशो विडम्बना // 2 // अन्यच्च-असत्याभिसंबंधे अपहस्तित्वमात्मसात्करोति सुदर्शनं, हीयते धर्मैकरता, सुदूरमुपगच्छति लक्ष्मीरिति / दूरज्झियअववायं लहंन्ति मणुया जयंमि जसवायं / सच्चेणं चिय लोए दिवे विसमेवि घडसप्पे // 1 // अञ्जवसुरतरूमंजरिहै| परिमलपसरेण सच्चवयणेण / उल्लसइ सुरहिभावो अवगच्छइ असुहगन्धोवि // 2 // दूरं अवेइ तावो जियाण कालाइतत्त किरियासु / सच्चप्पवायसुरसरिपवाहअवगाहमाहप्पा // 3 // सत्वं तं पुण भन्नइ जीवाणं जं हवेइ सुहहेउ / जन्तुवधाय 5ACEBOOK