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________________ 151 // मदनासक्तायाः सम्पदाया: पुत्रमारणेच्छा / LOCACAAAA%C45 कमलाराहणिक्करया // 25 // तह अस्थि दासचेडो नामेणं थावरूत्ति विक्खाओ / ताण प्पिओ विस्सासवाणं जो कञ्जसिद्धिकरो // 26 // वडवद्दयाभिहाणं नयरम्भासंमि गोउलं तस्स / पीऊसदाणदच्छं खीरोयसहोयरं आसि // 27 // सिट्ठी सागरदत्तो गन्तूणं तत्थ दुद्धघयमाई / आणाविऊण दिणाणाहयाण वियरेइ बहुवारं // 28 // बन्धुमईवि य साहूणं अन्तिए सुणिय जिणमयं सम्मं / थूलजियघायविरई गिन्हइ सम्मत्तसजुत्तं // 29 // तियससरिय व निम्मलदयावहा सत्वयावि गम्भीरा // अणुकूलं वियरन्ती खमाणुया दिवमाहप्पा // 30 // कारून्नपुन्नहियया जयणाए कुणइ गेहवावारं / बन्धुमई सिद्रिसुया जिणमयसवणेण संविग्गा // 31 // मणियं च-"जयणा धम्मजणणी जयणा धम्मस्स पालणी निच्च / तव्वुद्धिकरी जयणा एगंतसुहावहा जयणा" // 32 // जयणाए जमुणाए दयावगाहेण कीरमाणेण / अवणेइ पावपंकं बन्धुमई साविया निचं // 33 // अत्थंगयंमि सायरचन्दे नायरजणेण मुणिचन्दो। सिट्ठिपए संद्वविओ ईसरसिरलद्धसुपइट्ठो // 34 // घरकजाई तस्स य चिन्तइ तह थावरो सिणेहेण / अणुकूले पवट्टन्तो पुत्वपवाहेण गंग व // 35 // मयणसरसल्लियंगी थावरचेडंमि सम्पया रत्ता / रोद्दज्झाणोवगया दिणंमि अनमि चिन्तेइ / / 36 // भुंजिस्सं भोगमहं निस्संकं थावरेण कह ? सद्धिं / वावाइयमुणिचन्दा कह ? गिहसामि इमं काहं 1 // 37 // अमुणियकजाकजा लज्जं मुत्तूण थावरस्सेसा // अप्पाणं अप्पित्ता अहऽनया संपया भणइ // 38 // भद्द ! तुमं हणसु इमं गच्छन्तं गोउलंमि अणुयन्तो / जेण तुमं सुहय ! अहं गहिसामित्तमि ठावेमि | // 39 // पडिवजइ मृढमणो वयणं सो संपयाइ पावपि / महिलामोहहिमेणं डज्झइ जं नाणकमलवणं // 40 // जाणावइ मुणिचन्दं बन्धुमई वइयरं इमं नाउं / सो पुण तुहिकच्चिय चिट्ठइ गंभीरपरिणामो // 41 // कइवणदिणपजन्ते रूयमाणिं 1 / 151 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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