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________________ // 131 // ВЕ З CROCOCCARRARIA तस्सेव वंदणत्थमुज्जुत्तो / सो वि जाणे अवयरिओ चउविहदेवेहि परियरिओ // 77 // तो धणियं धन्नोऽहं सहलं मह भगवता जीवियं च जम्मं च / जं जणियजणाणंदं वीरजिणिंदं नमंसिस्सं // 78 / / अह तस्स गयणमग्गे आइच्चाणं विमाणकोडीहिं / कृता हवइ य माणससरवरविम्हयकमलायरोल्लासो // 79 // गुणसिलए उजाणे ओसरणे जिणवरस्स दिदुम्मि / पंचविहाभिगमेणं वैराग्यपविस सेणियनरिंदोवि / / 80 // तिपयाहिणी करित्ता वीरजिणिदं विसुद्धभत्तीए / सक्कथएणं बंदइ आसीणो उचियद्राणम्मि वाहिनी // 81 // तो करुणामयसारणिदिट्ठी सिरिवद्धमाणजिणचंदो / भवियणकुमुयाणंदो धम्मकहं कहइ परिसाए // 82 // तथाहि // देशना। भो भो भवजणा दुहोहसलिलुप्पीलम्मि मोहोदया-वत्ते जम्मजरातरंगबहले नायावयासंकुले / लोहागाहतलमयायलकुले कुग्गाहचक्काकुले कोहाडंबरवाडवानलजलजालावलीदुग्गमे / / 83 // मायावित्तवियाणपुंजगुविले दुव्वासणासेवले, ईसा-18 मच्छरकालकूटकलिए कंदप्पकुंभीरए / इट्ठानिद्ववियोगरोगवसणवासंगमीणायरे, संसारम्मि महनवम्मि दुल्लहा बोही सुहाणं 15 निही // 84 / / जेणाऽणाइभवम्मि कम्मकलुसो जीवो निगोयट्ठिई, मच्चोप्पत्तिपरंपरापरिणओ कालं अणंतं दिओ। पच्छा मूलनिगोयगोवि दुहिओ तम्मत्तकालो तओ, पत्तेएसु वणाइएसुवि गओ कालं असंखं पुणो // 85 // अत्ताणो विगलिदिएसु भमिओ संखेजकालं दुहं, कम्माण लहुयत्तणेण तिरिओ सन्नी असन्नी तहा / एवं एस अकामनिजरवसा निजिन्नदुक्कमओ, नूणं कोवि कहंपि माणुसभवं पावित्तपजत्तओ // 86 // छक्कायेसु अणंतपुग्गलपरावत्तेहि माणुस्सए, पत्ते | खेत्तकुलाइएसुवि तहा कद्वेण लद्धेसुवि / बुद्धी होइ न धम्ममग्गविसया भोगेसु गिद्धी पुणो, मोहंधाण जियाण जायइ सया एजंतदुक्खावहा / / 87 // होला धम्ममई तहावि सुगुरुसंगो न संपजए, लद्धे तम्मि जिणिंदसासणरुई धन्नेहिं पाविजए / D131 // -4 4+4+4+8+4=
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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