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________________ जयन्तीप्रकरणवृतिः / // 108 // र्शनम् / सम्मड्डिी सुदंसणो सिट्ठी / सयलगुणरयणरासी पढमतोसी इहं अस्थि // 93 // तस्संतिए निविट्ठो गोट्ठीए सुट्ठ अमिग-1 | तत्र पुरोवुट्ठीए / कालं अइक्कमंतो अहं न याणामि तुट्ठीए // 94 // इय तग्गुणकहणेणं परोक्खरागेण तम्मि तह रत्ता / कविलावि हितस्त्रीजहा अन्नं वन मन्त्रइ न सुमिणेवि // 94 // अइ रायाएसेणं कविलो गामन्तरम्मि संपत्तो / तत्तो वियणं नाउं रहसभरुन्मि- कपिलायाः भरोमंचा // 95 // कविवहुचवला कविला रचा उदयंतमरमुत्ति छ / एइ सुदंसणसविहे विविहे सवहे विहेऊण // 96 // कामविजंपेइ कविलो तुह मित्तो पाणवल्लहो मज्झ / चिट्ठइ हल्लोहलिओ सिरवेयणराहुणकतो // 97 // तुम्ह सुदंसण ! सणमित्ते- कार प्रद| णवि होइ तस्स अवसरणे / अक्खयसुहोवलंभो संपइ तो एहि मह गेहे // 98 // इय लडहवाणिविन्नासपासवसओ घरंमि सो तीए / गच्छइ पुच्छइ अच्छइ पियमिचो कत्थ सो कविलो ? // 99 // रमणीए सयणीए जह गिहमज्झम्मि चिट्ठइ कविलो / तह तं पिच्छसु पविससु जंपइ कविला तो एवं // 100 // अणुइंतीए तीए मज्झगओ भन्नए इमो तो सो / जोवणलच्छि सामिय ! मह सहलं कुणसु तं इण्हि // 101 // मयणसरसल्लियंगी दुहियाऽहं देवसुंदरसरीर! | सल्लुद्धरणिमहोसहिकरणिं तं वहसु मह अहुणा // 102 // तुह संगमे णो जलनिहिउक्कलियाओ वारेसु तं धीर / उवरोहरोहणहुममलयायलमेहलाबंध! // 103 // इच्चाइ चाडुवयणिधणेण मयणानलो न पजलिओ / तस्स वरसीलजलनिहिपसरियलहरीहिं विज्झविओ // 104 // कामगहगहिलहियया हियाहियं बोहिउं न सकेसा। सीलमकलंकमचलं मह पुण नवचंदगिरिस| रिसं // 105 // इय चितिऊण जंपइ सुदंसणो मुद्धि ! खिजसि किमित्थं / परमत्थं न वियाणसि अक्खमोऽहं पंडओ जेण // 106 // एवं च तस्स वयणं दिवंजणसुंदरं लहेऊण / तीए विवेयनयणं सुमग्गनयणं समुल्लसियं // 107 // तुह // 108 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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