________________ निचन्द्रकु कामारराज्या रोहणम्. ततः स्फटिकसंघातैघटिताशेषभित्तिकम् / चञ्चच्चामीकरस्तम्भन्यस्तशस्तप्रकीर्णकम् // 126 // विचित्रचित्ररोचिष्णुतारहारविराजितम् / आस्थानमण्डपं गत्वा न्यविशरकाश्यपीपतिः // 127 // भनेकभटसंकीर्ण राजराजविराजितम् / मध्यस्थेन तदास्थानं विरेजे तेन भूभुजा // 128 / अथ पौरान समाहृय प्रकृतीश्च विचक्षणः / जिज्ञासुर्भावमन्तःस्थमिदं वचनमब्रवीत् // 129 // भो ! भो! लोका ममेहक्षो विकल्पो हृदि वर्तते / राज्ये संस्थापयाम्यद्य मुनिचन्द्रकुमारकम् / / 130 // किंच- जनानुरागतः संपत्प्रसूतिरिति च श्रुतिः / अतो निवेद्यतां योग्यः कुमारो वा नवा स्फुटम् // 11 // तदाकर्ण्य वचो राज्ञो जगदुस्तेऽथ सत्वरम् / रोमाञ्चोझैदलक्ष्यान्तःप्रमोदातिशयाजनाः // 132 / / देव ! चन्द्र इवात्यर्थ हृदयानन्दकारिणि / मुनिचन्द्रकुमारेऽपि कस्य नो रमते मनः // 133 // योग्यत्वं स्वगुणैरेव पुरुषस्य विधीयते / वन्द्यते हि नवश्चन्द्रो निष्कलक्सया न किम् ? // 134 // इत्युक्तं तैर्वचः श्रुत्वा लोकक्षेमचिकीर्षया / प्रोत्फुल्ललोचनो राजा पारेमे तं महोत्सवम् // 135 // कथम् नृत्यत्सीमन्तिनीसाथ क्वणत्काञ्चीरवाकुलम् / प्रारब्धकाकलीगीतहृदयाहादकं क्वचित् // 136 // क्वचित्तरोद्भवारावबधिरीकृतकर्णकम् / क्वचित्सन्मानिताशेषसाधुलोककदम्बकम् // 137 // इत्यनेकविलासाख्यं सर्वलोकप्रमोदकम् / राज्याभिषेकमाधाय भूयस्तानभ्यधान्नृपः // 138 / इदानीमेष युष्माकं नायको नायकार्थिनाम् / वयं त्वादित्सवो दीक्षां धर्मराज्यार्थमुत्थिताः // 139 // FASHISHASIA