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________________ भास्य सिंहस्येव श्रुतेः पथम् / प्राप्तेन शत्रोनक्ष्यन्ति त्रस्ताः सैन्या मृगा इव // 60 // आरुह्याथ रथं वज्रजङ्घः स्वान् कुक्कुटानिव / / // 537 // * सैन्यान् संस्थापयन् योद्धं धाविष्यत्यभिसुन्दरम् // 61 // मुधैवानपराधस्य स्वसैन्यस्य क्षयेण किम् / उक्त्वेति ढौकिष्येते तो हरिप्र वासुदेव| तिहरी युधे // 62 / / मिथः कोदण्डटंकारमन्त्रोच्चारमिवाथ तौ। समं जयश्रियं क्रष्टुं कर्तारौ मात्रिकाविव // 63 / / स्वयंवराया विजय- प्रतिवासुदेKel श्रियो वरणमण्डपम् / चिकीर्षु इव तो बाणवृष्टिं व्योम्नि विधास्यतः॥६४॥ धनुस्तूणीरयोरग्रपश्चाद्भागस्थयोरपि / समप्रवृत्त्याऽऽविः / | वयोर्युद्धम् कर्ता दक्षिणत्वं तयोः करः // 65 // तिरस्करिष्यते बाणैः सौर मण्डलमम्बरे / वीरव्रतं तु न तयो रणाश्रमतपखिनोः // 66 // अजय्यं | | वज्रजङ्घोऽथ ज्ञात्वा बाणैर्बलानुजम् / शक्तिप्रायैर्वपितास्तैः क्षयानल इवाद्रिभिः / / 67 // प्रत्यौविफलीकर्ता तानि सुन्दरबाहुकः / | स्वप्रमाणेमहावादी प्रमाणानीव वादिनः // 68 // पारं यियासुः सङ्ग्रामवारिधेः संस्मरिष्यति / वज्रजङ्घः पोतचक्रमिव चक्रममर्षणः // 69 // स्मृतमात्रं च तत्पाणौ तस्याशु निपतिष्यति। आराद्धसिद्धवाग्बद्धचेटकार्पितवस्त्विव // 70|| शौर्यश्रियः कुण्डलवत्करेण भ्रमयंश्च तत् / वज्रजङ्घः प्रवदिताऽऽक्षिप्य सुन्दरबाहूकम् // 71 // रे क्षीरकण्ठ ! कुण्ठवं त्यज खं भज वण्ठताम् / मृगशावो भवेद्युद्धोत्कण्ठी कण्ठीरवस्य किम् ? / / 72 / / वराककाकवच्छीर्षच्छेद्योऽसि त्वं ममामिषम् / हरन् मार्गस्थमथवा त्रातव्यः शिशुरित्यसि // 73 के | तद्विमुक्तोऽसि रे नश्य का त्रपा ते कृपास्पद ! / भवादृशा स्थास्यते न सङ्गरे भङ्गुरेण भोः // 74 / / बदिता तं महाबाहुः श्रीमान् सुन्दरबाहुकः / प्रौढंमन्य क्षीरकण्ठ इति मां मा वजीगणः / / 75 / / प्रतिपचन्द्रवद् बालोऽप्युदयाभिमुखोऽस्म्यहम् / खं तु पूर्णेन्दुवद्वृद्धिमानपि क्षयमाप्स्यसि // 76 / / काकवत्वं कृपापात्रं शिशुरित्यसि नश्य तत् / इति प्रलपताऽऽख्यायि स्वस्यैवोन्मत्तता त्वया // 77 // // 537 // धीराणां कातराणां च कपः सङ्ग्राम एव तत् / काकख केशरिखं च स एव व्यञ्जिताऽऽवयोः // 78 // किश्चयमामिपं पृथ्वी वीराणां तां
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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