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________________ श्रीअमम जिनचरित्रम् नासिक्यस्य श्रष्ठिवधू प्रत्युपदेशः // 58 // दैवज्ञ तावाजूहवतां स्यात् / सर्वग्रहबलोपेतं ददौ लग्नमसावपि // 46 // ततस्तौ लग्नदिवसे संगमोत्सुकचेतसोः। निरवयता रत्नवती| बकुलयोर्मुदा // 47 // न्यस्तस्वस्तिकमुच्चमण्डपमृदुल्लोचं चलत्तोरणम् , स्फूर्जत्तूर्यमवार्यमार्गणगणं व्यावद्धवेद्यङ्गणम् // उद्यद्धन्दि खं परस्परपरीहासाकुलं संमिलद्गोत्रं बन्धुवधूवितीर्णधवलं वैवाहिकं मंगलम् // 48 // युग्मम् // अममचरिते भाविन्येवं द्वितीयभवे लघोर्ललितांगमुनिनाख्यातां श्रुत्वा शुकाद्यभवस्थितिम् / विभृत निरतिचारां लब्ध्वा प्रियां व्रतसम्पदं यदि हृदि जनाः सौख्ये वाञ्छा | समस्ति निरन्तरे // 549 // इत्याचार्यश्रीमुनिरत्नविरचिते श्रीअममस्वामिचरिते महाकाव्ये द्वितीयभवे भ्रातृद्वयचरिते ज्येष्ठोपक्रान्तशूद्रकसाधुकथावर्णनो द्वितीयः सर्गः // ग्रन्थानं-५५३ // तृतीयः सर्गः। __ शिष्टाऽथ बन्धुवृद्धाभिः पितृभ्यां चानुमोदिता। श्वशुरौकः समं पत्या प्रीता रत्नवती ययौ // 1 // प्रणमय्यार्चयिता च च विस्तरेण जिनान् गुरून् / मुदा श्रेष्ठी वधूं कीरपादयोस्तामपातयत् // 2 // तामन्वशात् शुको वत्से ! भूयास्वं धर्मतत्परा / असाध्यवेव प्रसूते यदैहिकामुष्मिके सुखे // 3 // हिंसां मुश्च भुजङ्गीवदऽलीकं विषवत्त्यज / परखं लोष्टवद् विद्धि पुंसोऽन्यान् पश्य पांशु|वत् // 4 // त्रस्य शत्रोरिवौद्धत्यात् कुसंगानरकादिव / श्मशानादिव पैशून्याद् दौरात्म्या राक्षसादिव // 5 // भजायुष्यमति ! सौजन्यं // 58 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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